सर्वविदित है कि हमारा भारत "ऋषि मुनियों"की परंपरा वाला देश है जिस कारण साधू सन्यासियों को "श्रद्धालु समाज"श्रद्धा की दृष्टि से देखता है अनेक साधु सन्यासी ऐसे हैं जिन्होंने मोह माया का त्याग कर समाजहित में जन कल्याण हेतु अपना तन, मन, धन सब समर्पित कर दिया.
रिपोर्ट - अजय शर्मा
हरिद्वार: सर्वविदित है कि हमारा भारत "ऋषि मुनियों"की परंपरा वाला देश है जिस कारण साधू सन्यासियों को "श्रद्धालु समाज"श्रद्धा की दृष्टि से देखता है अनेक साधु सन्यासी ऐसे हैं जिन्होंने मोह माया का त्याग कर समाजहित में जन कल्याण हेतु अपना तन, मन, धन सब समर्पित कर दिया. वर्तमान समय में ऐसे तपस्वी साधु-संतों की जान खतरे में है जिसका मुख्य कारण मंदिर, मठ, आश्रम और अखाड़ों के पास अकृत संपत्ति है इन संपत्तियों और गद्दियों पर कब्जे को लेकर अनेक साधु सन्यासी अपनी जान गवा चुके हैं या गायब करवा दिया गए हैं यह कड़वा सच है. आप देख रहे हैं इस समय बड़े पैमाने पर अनेक बड़े-बड़े संत /महंत तो ऐसे भी हैं जो पूरी तरह मोह माया की गिरफ्त में है इन का रहन सहन राजसी है बड़े-बड़े होटल नुमा आश्रम में रहना लग्जरी गाड़ियों में घूमना और राजा महाराजाओं की तरह पेश आना जगजाहिर है। आपने देखा होगा की मोह माया के जाल में जकड़ चुके प्रभावशाली संतो महंतों के दरबार में बड़े-बड़े उद्योगपति, राजनेता, के साथ बड़ी-बड़ी हस्तियां इनके आगे नतमस्तक होती हैं तथा इनके पास पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध है। इसके विपरीत तपस्वी साधु सन्यासी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाती है या वे लापता हो जाते हैं? ऐसे मामलों का अभी तक कोई खुलासा नहीं हो पाया है ऐसा क्यों? ""यहां हम बात करते हैं स्वामी श्री श्रद्धानंद तीर्थ शिष्य स्वामी श्री भास्करानंद तीर्थ निवासी: "कल्प धाम" आश्रम सप्त सरोवर मार्ग हरिद्वार की स्वामी श्रद्धानंद जी के दो शिष्य थे एक का नाम अभेदानंद तीर्थ तो इनके दूसरे शिष्य का नाम विशुद्धानंद तीर्थ. स्वामी श्रद्धानंद जी हरिद्वार के कल्प धाम आश्रम में निवास करते थे और इनके शिष्य विशुद्धानंद गुजरात के जरिया महादेव मंदिर में और स्वामी अभेदानन्द जी राजस्थान के माउंट आबू में स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर की व्यवस्था देखते थे. लेकिन विडंबना देखिए:स्वामी श्रद्धानंद जी ने अपने जीवन काल में अपनी पुण्यार्थ एवं धर्मार्थ उद्देश्यों की संपत्तियों की सुचारू व्यवस्था एवं रक्षा हेतु 02 ट्रस्ट क्रमश:(01) स्वामी श्रद्धानंद तीर्थ ट्रस्ट (02)सिद्धेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट का विधिवत पंजीकरण सब रजिस्ट्रार कार्यालय हरिद्वार में कराया था. उसके बाद स्वामी जी का कोई अता पता नहीं है चिंताजनक यह है की स्वामी श्रद्धानंद जी ने जिन ट्रस्टियों पर "विश्वास"किया उन्हीं ट्रस्टीयों ने स्वामी जी की कोई सुध नहीं ली. स्वामी जी लापता हो गए लेकिन ट्रस्टीयों ने उनके लापता होने की कोई सूचना पुलिस को नहीं दी? स्पष्ट है की ट्रस्टियों की कोई रुचि या श्रद्धा स्वामी श्रद्धानंद जी या उनके शिष्यों में नहीं थी उनका उद्देश्य कुछ और ही था? """जिसका खुलासा भी आज तक नहीं हो पाया है"""""