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भारतीय संस्कृति की पहचान व भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है रक्षा बंधन-स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचार


रक्षाबंधन के पावन अवसर पर नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में माताओं, बहनों व कन्याओं ने म.म.स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज को राखी बांधकर और मिठाई खिलाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।

रिपोर्ट  - 

हरिद्वार, 16 अगस्त। रक्षाबंधन के पावन अवसर पर नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में माताओं, बहनों व कन्याओं ने म.म.स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज को राखी बांधकर और मिठाई खिलाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। आश्रम में पधारे सभी श्रद्धालुओं, महिलाओं व कन्याओं को संबोधित करते हुए म.म.स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि रक्षाबंधन पर्व भाई का बहन के प्रति प्यार का प्रतीक है। जो हमारी संस्कृति की पहचान है। प्रत्येक भारतवासी को बहनों के प्रति प्रेम और कर्तव्य की भूमिका को सुनिश्चित करना और बहनों के संरक्षक प्रेरणादायक और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करना इस त्यौहार का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि यह पर्व भारतीय समाज में इतनी व्यापकता से समाया है कि सामाजिक महत्व के साथ ही धर्म, पुराण, इतिहास एवं साहित्य भी इससे अछूते नहीं है। अनेक भावनात्मक रिशते भी इस पर्व से बंधे हैं। जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे हैं। वास्तव में रक्षाबंधन आत्मीयता और स्नेह के बन्धन से रिश्तों को मजबूती प्रदान करने का पर्व है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मानवीय भूल के चलते अनेकों भाईयों की कलाई सूनी रह जाती है। सभी को कन्या भ्रूण हत्या के प्रति लोगों को सजग करने की आवश्यकता है। क्योंकि बेटी है तो बहन, मां, अर्धागिंनी सभी का संरक्षण व आशीर्वाद हमें प्राप्त होगा और सामाजिक असंतुलन भी कम होगा। रक्षाबंधन पर्व पर सभी को कन्या भू्रण हत्या जैसे कुपराधों और बालिकाओं के संरक्षण की शपथ लेनी चाहिए। इस दौरान आशा वालिया, रीना वालिया, जिया, कविता, रेनू, ममता, अंजली, नेहा, राधिका आदि सहित सैकड़ों माताओं, बहनों व कन्याओं ने स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी को राखी बांधकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर आचार्य पवन दत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पाण्डे, स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, बालमुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, सागर ओझा, अनिल सिंह, अनुराग वाजपेयी, पंडित शिवकुमार, रामसिंह आदि उपस्थित रहे।

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