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एम्स ऋषिकेश के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित नॉर्थ जोन के सम्मेलन


एम्स ऋषिकेश के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित नॉर्थ जोन के सम्मेलन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए रेडिएशन ऑन्कोलाॅजिस्ट विशेषज्ञों ने कैंसर के उपचार में रेडिएशन विधि की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा की और कैंसर के समुचित निदान के लिए एविडेंस बेस्ड मेडिसन को अपनाने पर बल दिया।

रिपोर्ट  - अंजना भट्ट घिल्डियाल

एम्स ऋषिकेश के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के तत्वावधान में आयोजित नॉर्थ जोन के सम्मेलन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए रेडिएशन ऑन्कोलाॅजिस्ट विशेषज्ञों ने कैंसर के उपचार में रेडिएशन विधि की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा की और कैंसर के समुचित निदान के लिए एविडेंस बेस्ड मेडिसन को अपनाने पर बल दिया। रेडिएशन ऑन्कोलाॅजी विभाग एम्स ऋषिकेश और कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट, जौलीग्रांट के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में एसोसिएशन ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलाॅजिस्ट ऑफ इंडिया ( उत्तरी क्षेत्र ) के सैकड़ों विशेषज्ञ प्रतिभाग किया। उद्घाटन समारोह के प्रथम सत्र में कैंसर विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कैंसर उपचार में नई तकनीकों को अपनाने पर बल दिया। ’एविडेंस बेस्ड प्रैक्टिस इन ऑन्कोलाॅजी’ विषय पर चर्चा करते हुए कैंसर विशेषज्ञों ने कहा कि कैंसर के समुचित निदान के लिए हमें नई तकनीकों को विकसित करने के साथ-साथ मेडिकल कॉलेजों में भी इसके पाठ्यक्रम को लागू करने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने कहा कि मरीज के प्रति सहानुभूति अपनाकर इलाज करने से मरीज स्वयं को जल्दी स्वस्थ महसूस करने लगता है। चिकित्सकों को चाहिए कि वह प्रत्येक मरीज की बीमारी से संबंधित परेशानी को ठीक से सुनें और इलाज हेतु उसे पर्याप्त समय दें। उन्होंने कहा कि बेहतर दवा देने के साथ-साथ हमारे चिकित्सकों को चाहिए कि वह प्रत्येक मरीज के साथ मृदु व्यवहार अपनाएं। सम्मेलन की विशिष्ट अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉक्टर) मीनू सिंह ने अपने संबोधन में एविडेंस बेस्ड मेडिसिन को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में रिसर्च का बहुत महत्व है। इसलिए चिकित्सकों को चाहिए कि मरीजों का इलाज करने के साथ-साथ वह अनुसंधान के क्षेत्र में भी ध्यान दें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सम्मेलनों से विभिन्न प्रकार के अनुभव प्राप्त होते हैं और एक दूसरे के माध्यम से नई तकनीकों का भी व्यापक आदान-प्रदान होता है। एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि ज्ञानवर्धक व नवीनतम तकनीकी पहलुओं से जुड़े ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन नियमितरूप से होना चाहिए। इस दौरान एसोसिएशन ऑफ ऑन्कोलाॅजिस्ट ऑफ इंडिया ( एआरओआई ) नाॅर्थ जोन के सचिव डाॅ. प्रदीप गर्ग ने एसोसिएशन के वार्षिक क्रियाकलापों का व्यौरा रखा। एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅ.नीरज जैन ने भी कार्यक्रम को संबोधित कर विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष और एम्स रेडिएशन ऑन्कोलाॅजी विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज गुप्ता ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार देश में 1400 लीनियर एक्सीलेटर होने चाहिंए। किंतु वर्तमान में इनकी संख्या मात्र 700 ही है। इनकी संख्या कम होने से इसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इनकी कमी के चलते मरीजों को समय पर कैंसर का पर्याप्त उपचार नहीं मिल पाता है। प्रो.मनोज गुप्ता ने कहा कि कैंसर के बेहतर निदान के लिए देश के प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में रेडियो थेरेपी ट्रीटमेंट संबंधी पाठ्यक्रम अनिवार्यरूप से लागू होना चाहिए।

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