पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में उच्च शिक्षण मंच द्वारा समलैंगिक विवाह आधुनिकता या अभिशाप पर चिंतन एवं मनन किया गया। जिसमें समलैंगिक विवाह के विरुद्ध जन जागरूकता अभियान को लेकर मौन जुलूस निकाले जाने और राष्ट्रपति को हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिद्वार 4 अप्रैल पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में उच्च शिक्षण मंच द्वारा समलैंगिक विवाह आधुनिकता या अभिशाप पर चिंतन एवं मनन किया गया। जिसमें समलैंगिक विवाह के विरुद्ध जन जागरूकता अभियान को लेकर मौन जुलूस निकाले जाने और राष्ट्रपति को हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज की अध्यक्षता में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ संजय माहेश्वरी ने किया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमंहत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि आज समलैगिक विवाह गंभीर परिणामों की ओर संकेत करता है। ऐसा विवाह केवल परिवार और समाज के आस्तित्व के लिये संकट पैदा करेगा।देश की मान्यताओं, संस्कृति और प्रकृति को बदलना समाजिक परिपाटी के लिये उचित नहीं है। आज इस मंच से मेरा सुप्रीम कोर्ट और केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि भारतीय समाज को संरक्षित करने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। मुख्य वक्ता के रूप में उत्तराखण्ड संस्कृति विश्वविधालय के कुलपति डॉ दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि वेदों में परिवार संस्था को ईश्वर प्रदत्त बताया गया है। सांस्कृतिक विकास बिना परिवार के सभवं नहीं है। मातृ ऋण पितृऋण और देवॠण परिवार के माध्यम से पूरे होते है। समलैंगिक विवाह मानसिक विकृति है, जो मात्र यौनाचार है। इसका परिणाम दुःख और पतन है। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल ने विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुये कहा कि जिस महान भूमि पर राम कृष्ण जैसे अवतारी पुरुष हुए वहां बड़े दुर्भाग्य की बात है कि समलैंगिक विषय पर चर्चा करनी पड़ रही है। अगर हमारे न्यायधीश न्याय के स्थान पर ऐसे विकृत विषयों को बढ़ावा देगें तो समाज का नैतिक पतन होगा। गुरुकुल कागड़ी सम विश्वविधालय के कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि देश के कुछ लोगों की मानसिकता कलुषित हो गई है। जिसके कारण इस विषय पर चर्चा की आवश्यकता हुई, ये लार्ड मेकाले की शिक्षा पद्धति का दुष्परिणाम है। संतो के मंच के माध्यम से इसका विरोध हुआ है जो प्रशसनीय है। विवाह संस्था का उद्देश्य उत्तम संतान प्राप्ति है जो समलैगिक विवाह में कदापि संभव नहीं है।