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व्यवहार का एक पक्ष छोडने तथा एक जोडने का प्रण ले इस पर्यावरण दिवस पर डाॅ0 शिव कुमार, मनोवैज्ञानिà¤


आज हम सब विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक दिन के लिए प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की बात करने को तैयार है। अब प्रश्न उठता है कि क्या इसी तरह के प्रयास द्वारा प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन संभव है। इस दकियानुसी ख्याल को छोड अब धरातल पर वास्तविक रूप से कुछ करने का समय है।

रिपोर्ट  - ALL NEWS BHARAT

5 जून आज हम सब विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक दिन के लिए प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की बात करने को तैयार है। अब प्रश्न उठता है कि क्या इसी तरह के प्रयास द्वारा प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन संभव है। इस दकियानुसी ख्याल को छोड अब धरातल पर वास्तविक रूप से कुछ करने का समय है। यह केवल पर्यावरण विशेषज्ञों एवं प्रकृति के प्रति लगाव रखने वाले लोगों अथवा संस्थाओं की ही एकमात्र जिम्मेदारी नही है। अपितु प्रकृति के प्रति सभी को संवेदनशील होना पडेगा। तभी कुछ रचनात्मक परिवर्तन सम्भव है। इसके लिए हमे अपने व्यवहार तथा सोच मे भी बदलाव लाने की आवश्यकता है। मनुष्य व्यवहार को देखने मात्र से पता चलता है कि प्रकृति के प्रति मानवीय संवेदना की स्थिति क्या है। घर से सामान लेने के लिए बाजार जाते है, तो सामान की सुरक्षा के लिए दुकानदार से पाॅलिथिन का बैंग लेते है, सामान घर तक सुरक्षित पहुंच जाये इसके लिए दुकानदार से पाॅलिथिन बैग की मजबूती पर आश्वस्त होने पर अथवा स्वयं सामान की सुरक्षा के प्रति सतर्क होते हुए एक के स्थान पर डबल पाॅलिथिन लेकर घर पहुंचते है। सामान निकालकर उसी पाॅलिथिन को कूडेदान मे डालकर स्वयं को पर्यावरण प्रेमी कहते है और पर्यावरण दिवस पर जागरूकता के बडे बडे वायदे करते है। व्यवहार के इस दोहरेपन से पर्यावरण अथवा प्रकृति की सुरक्षा मे कुछ फायदा नही होने वाला है। व्यवहार में बदलाव लाना तथा मन से प्रकृति की रक्षा के प्रति सजग बनकर किए जाने वाले प्रयास पर्यावरण के प्रति बदलाव ला सकते है। आओ इस पर्यावरण दिवस पर हम सब मिलकर एक प्रण करे कि व्यवहार मे प्रकृति के विपरीत प्रभाव रखने वाले सामान का उपयोग धीरे-धीरे कम करे तथा प्रकृति के प्रभाव एवं इसके सौदंर्य को बनाये रखने तथा भूमि कटाव को रोकने के लिए प्रतिवर्ष एक पेड अवश्य लगाएं। इस एक छोटे से प्रयास से अवश्य ही पर्यावरण दिवस की सार्थकता फलीभूत होगी। अर्थात अपने व्यवहार मे पालिथिन का उपयोग छोडने तथा एक पेड लगाने का प्रण लेकर हम सच्चे पर्यावरण प्रेमी बनकर समाज को प्रेरित कर सकते है।

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