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पंजाब की मजबूरी, अब मजदूरों की खुशामद।


अभी 20 दिन पहले पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बिहार और यूपी सरकार से पंजाब से प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश से वापस ले जाने को कहा था। मैंने अपने संपादकीय में पंजाब के मुख्यमंत्री को आगाह किया था कि इन मजदूरों को अच्छे से रखिए और खिलाइए, अभी 15 दिन बाद आपको इनकी जरूरत पड़ेगी। पंजाब की खुशहाली में यूपी और बिहार के प्रवासी मजदूरों का खून पसीना लगा है।

रिपोर्ट  - à¤…धि.अजय कुमार गुप्त सह-नगर संघ चालक

अभी 20 दिन पहले पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बिहार और यूपी सरकार से पंजाब से प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश से वापस ले जाने को कहा था। मैंने अपने संपादकीय में पंजाब के मुख्यमंत्री को आगाह किया था कि इन मजदूरों को अच्छे से रखिए और खिलाइए, अभी 15 दिन बाद आपको इनकी जरूरत पड़ेगी। पंजाब की खुशहाली में यूपी और बिहार के प्रवासी मजदूरों का खून पसीना लगा है। परंतु पंजाब सरकार को तो प्रवासी मजदूरों को भागने की जल्दी पड़ी थी। कांग्रेस के बड़े नेता खासकर प्रियंका वाड्रा ने प्रवासी मजदूरों के पलायन पर खूब राजनीति तो की ,पर अपनी ही पार्टी की सरकार वाले पंजाब से पैदल, साइकिल, ट्रेनों, ट्रकों में भाग रहे मजदूरों को रोकने की कोशिश नहीं की। नतीजा ये रहा कि पंजाब में अब धन रोपाई का समय आ गया और मजदूर नदारद है। अब बेशर्म सीएम यूपी और बिहार के मजदूरों को आने का न्योता दे रहे है। धान रोपाई में एक एक दिन महत्वपूर्ण होता है। अब पंजाब के किसान बिचौलियों के माध्यम मजदूरों को वापस बुलाने का प्रयास कर रहे है। एक एकड़ धन रोपाई का ठेका पिछले वर्ष 4 हजार रु में था , इस वर्ष मजबूरी में 12 हजार प्रति एकड़ हो गया है साथ ही मजदूरों के आने का भाड़ा भी देना है। यही स्थिति गुजरात और महाराष्ट्र की होने वाली है। बिना मजदूरों के वहा का व्यापार या कल कारखाने नहीं चलने वाले है। यदि मजदूरों को भगाने के बजाय उनकी देख रेख की गई होती तो सैकड़ों जा बनने बचती और ये मजदूर इतने मजबुर ना होते। शायद हम "नर सेवा नारायण सेवा" केवल भाषणों में ही कहते है।

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