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उत्तराखंड उत्तरकाशी में बादल फटने से 10 लोगों की मौत, हिमाचल में 22 लोगों की मौत


उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हिमाचल से लगे मोरी ब्लॉक के गांवों में बदल फटने की घटना के बाद आयी बाढ़ भूस्खलन से दस लोगों की मौत हो गई जबकि पन्द्रह लोग लापता हो गए। क्षेत्र में मोटर पुलों और सड़कों के बह जाने से रेस्क्यू टीमें मौके देर रात तक मौके पर नहीं पहुंच पायीं। वहीं रविवार को बारिश की वजह से हिमाचल प्रदेश में 22 और पंजाब में तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं यमुना एवं उसकी अन्य सहायक नदियों में जलस्तर बढ़ने के कारण दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में बाढ़ की चेतावनी जारी की गयी है। यमुना नदी में हथिनी कुंड बैराज से 8.14 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद हरियाणा ने सेना से तैयार रहने का अनुरोध किया है।

रिपोर्ट  - 

घटना से रविवार तड़के पब्बर और टोंस नदी में आयी भीषण बाढ़ की चपेट में आकर आराकोट, मैजणी और माकुड़ी गांवों में नौ लोगों की मौत हो गई। जबकि एक शव हिमाचल से बहकर आया। क्षेत्र के अलग अलग गांवों में पन्द्रह लोग लापता हैं। टिकोची गांव में इंटर कॉलेज, अस्पताल, पटवारी चौकी ध्वस्त हो गई। मौसम विज्ञान केन्द्र ने संभावना जताई है कि अगले 24 घंटे में देहरादून समेत उत्तरकाशी, चमोदी, पिथौरागढ़, पौड़ी और नैनीताल में भारी से बहुत भारी हो सकती है। मौसम विभाग ने इन जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। साथ ही जिला प्रशासन ने गाइडलाइन भी भेजी है। उधर जिलाधिकारी ने सोमवार को जिले के सभी स्कूलों में छुट्टी के आदेश जारी किए हैं। क्षेत्र में बादल फटा है या नहीं, इस पर राज्य मौसम केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने कहा कि वहां हमारे पास बारिश को मापने का इंतजाम नहीं है। लेकिन तीन घंटे तक वहां भारी से भारी बारिश हुई है। टौंस नदी में बाढ़ की वजह से रविवार सुबह त्यूनी बाजार में पानी भर गया। लोगों को जान बचाने के लिए घर छोड़कर भागना पड़ा। नदी का जल स्तर बढ़ने पर प्रशासन ने निचले इलाके को खाली करा दिया है। हिमाचल में 22 की मौत हिमाचल प्रदेश में बारिश जनित घटनाओं में दो नेपाली नागरिक समेत कम से कम 22 लोगों की मौत हो गयी जबकि नौ अन्य घायल हो गये। वहीं उत्तराखंड में बादल फटने के कारण तीन लोगों की मौत हो गयी और 22 अन्य लापता हो गये। पंजाब में भी तीन लोगों के मरने की खबर है। दक्षिण भारत के केरल में बाढ़ की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 121 हो गयी है। मलप्पुरम के कवालप्पारा और वायनाड के पुथुमला में शवों का पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) का इस्तेमाल किया जा रहा है जहां हुए भयंकर भूस्खलन ने दो गांवों का नामो-निशान मिटा दिया था।

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