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किशोर उपाध्याय ने भराड़ीसैण को ग्रीष्म क़ालीन राजधानी बनाये जाने के निर्णय का विरोध किया


वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता, पूर्व विधायक व उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी किशोर उपाध्याय ने भराड़ीसैण को राज्य की ग्रीष्म क़ालीन राजधानी बनाये जाने के सरकार के निर्णय का विरोध किया है, उन्होंने कहा कि यह निर्णय राज्य आन्दोलन की भावना की हत्या करता है।

रिपोर्ट  - ALL NEWS BHARAT

वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता, पूर्व विधायक व उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी किशोर उपाध्याय ने भराड़ीसैण को राज्य की ग्रीष्म क़ालीन राजधानी बनाये जाने के सरकार के निर्णय का विरोध किया है, उन्होंने कहा कि यह निर्णय राज्य आन्दोलन की भावना की हत्या करता है। छोटे राज्य में दो-दो राजधानियां इस राज्य की जनता का उपहास है और ग़ुलामी की भावना का पोषक है। अंगेजों ने ग्रीष्म व शरद क़ालीन राजधानियों का निर्माण अपने सुख को लेकर किया था, ताकि वे मौसम की प्रतिकूलता से बच सकें और उसी मानसिकता का परिचय यह निर्णय है। विधान सभा का सत्र जब कांग्रेस सरकार ने भराड़ीसैण में आयोजित किया था तो उस समय तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने उस समय स्थायी राजधानी ग़ैरसैण में बनाने की बात की थी और अब भाजपा अपने वायदे से मुकर गयी है। नैनीताल में उच्च न्यायालय और अस्थायी राजधानी दोनों ही तत्कालीन भाजपा सरकार के उत्तराखंड विरोधी निर्णय हैं और सरकार के आज के निर्णय ने राजधानी के मसले को और भी जटिल बना दिया है। वनाधिकार आन्दोलन और अन्य सामाजिक संगठन कल इस पर एक Web संवाद आयोजित करेंगे। उपाध्याय ने कहाकि सरकार इस निर्णय को वापस ले और राज्य की राजधानी घोषित करे।

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