परमार्थ निकेतन में आयोजित तीन दिवसीय गंगा के प्रति जागरूकता और आरती कार्यशाला का समापन हुआ। गंगा आरती कार्यशाला के माध्यम से जागरूकता नमामि गंगे की अद्भुत पहल है, जिसका उद्देश्य गंगा जी के प्रति जागरूकता, बढ़ते प्रदूषण को कम करना तथा घाटों के माध्यम से सकारात्मक संदेशों को प्रसारित करना है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 28 अगस्त। परमार्थ निकेतन में आयोजित तीन दिवसीय गंगा के प्रति जागरूकता और आरती कार्यशाला का समापन हुआ। गंगा आरती कार्यशाला के माध्यम से जागरूकता नमामि गंगे की अद्भुत पहल है, जिसका उद्देश्य गंगा जी के प्रति जागरूकता, बढ़ते प्रदूषण को कम करना तथा घाटों के माध्यम से सकारात्मक संदेशों को प्रसारित करना है। परमार्थ निकेतन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित यह तीसरी कार्यशाला है, जिसमें भारत के पांच राज्यों के 19 घाटों के पंडितों और 10 होमगार्डस ने सहभाग कर गंगा आरती संचालन का कौशल, आरती समारोह के माध्यम से गंगा की स्वच्छता, जैविक खेती, मिशन लाइफ के विषय में जानकारी, मंत्र उच्चारण, गंगा अभिषेक, पूजन पद्धति, हवन विधि, अर्थ से परमार्थ की यात्रा और स्वार्थ से परमार्थ की ओर बढ़ने के साथ, गंगा जी का आध्यात्मिक, सामाजिक व आर्थिक महत्व, नमामि गंगे व अर्थ गंगा का उद्देश्य, धार्मिक आयोजनों के अवसर पर पहने जाने वाले सात्विक पारम्परिक वस्त्रों को धारण करने का प्रभाव, गंगा में बढ़ते प्रदूषण के कारण, घाटों की समस्या, सुविधायें और हरियाली संवर्द्धन आदि अनेक विषयों पर विस्तृत प्रशिक्षण प्राप्त किया। परमार्थ निकेतन में आयोजित गंगा आरती एक गौरवपूर्ण विरासत है जो स्वामी चिदानंद सरस्वती जी की प्रेरणा और मार्गदर्शन से प्रतिदिन परमार्थ निकेतन घाट पर आयोजित होती है। यह आरती भारत सहित पूरे विश्व के लिये प्रेरणादायक है; प्रेरणा का स्रोत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने वर्ष 1997 मंे परमार्थ गंगा तट पर विधिवत गंगा आरती का क्रम आरम्भ किया था। अब यह गंगा आरती केवल भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के पर्यटन और तीर्थाटन के मानचित्र पर उत्कृष्ट स्थान रखती है। इस दिव्य गंगा आरती में विश्व के अनेक देशों की प्रमुख विभूतियां सहभाग करती है और वे अपना दिव्य समय बिताते हैं। परमार्थ निकेतन में आने वाले श्रद्धालुु आरती के माध्यम से मानवता की सेवा, पर्यावरण, जल संरक्षण और शान्ति का संदेश लेकर जाते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि माँ गंगा ने हमें बहुत कुछ दिया है। 45 करोड़ लोगों को जीविका दी है, जीवन दिया हैं। गंगा जी के गंगत्व को बनाये रखने के लिये हमारी ग्रीन क्रिएटिविटी और ग्रीन रिस्पान्सबिलिटी बहुत जरूरी है। अब इसके लिये हमें अपनी जीवन शैली बदलना होगा। मिशन लाइफ अर्थात् पारम्परिक जीवन शैली को अपनाना होगा। अब हमें ग्रीड कल्चर से ग्रीन कल्चर की ओर बढ़ना होगा, हमें ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर और नीड कल्चर से नये कल्चर को अपनाना होगा। यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो कल्चर को स्वीकार करना होगा। सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल बंद करना होगा। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनायें दी तथा आरती के माध्यम से सकारात्मक संदेश प्रसारित करने हेतु पे्ररित किया।