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नदी रूपी अनमोल खजाने को सहेजना अत्यंत आवश्यक - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन में गंगा पखवाड़ा के प्रथम दिन जनसमुदाय को गंगा जी के प्रति जागरूक करने के लिये चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने ड्राइंग के माध्यम से गंगा संरक्षण व गंगा जी को प्रदूषण मुक्त करने का संदेश दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 2 सितम्बर। परमार्थ निकेतन में गंगा पखवाड़ा के प्रथम दिन जनसमुदाय को गंगा जी के प्रति जागरूक करने के लिये चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने ड्राइंग के माध्यम से गंगा संरक्षण व गंगा जी को प्रदूषण मुक्त करने का संदेश दिया। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सनातन संस्कृति से ही नदियाँ माँ की तरह हमारा पालन-पोषण करती आ रही हैं। नदियों के कारण ही सभ्यताएँ विकसित होती हैं और अनेक सभ्यताओं का विकास भी नदियों के तटों पर ही हुआ है। नदियों का कल-कल निनाद करता हुआ जल न केवल मनुष्य और धरती की प्यास बुझाता है बल्कि शान्ति व आनन्द की अनुभूति भी कराता है। नदियों के तटों पर ही हम सुकून और शांति की तलाश करते हैं। स्वामी ने कहा कि नदियों का सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक महत्त्व है। नदियाँ जीवन और जीविका दोनों प्रदान करने वाली है। मनुष्य के जीवन के अनेक संस्कार नदियों के तटों पर ही सम्पन्न होते है और जीवन की अंतिम यात्रा भी नदियों की गोद में ही होती है। इसके बाद भी हम अपनी नदियों के प्रति जागरूक नहीं है, जिसके कारण वे प्रदूषित हो रही है। कई अविरल व सदानीरा नदियाँ भी विलुप्त होेने की कगार पर है इसलिये नदी रूपी अनमोल खजाने को सहेजने के लिये हम सभी को गंभीर होना होगा। स्वामी ने कहा कि नदियों का जल महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है और यह हमारे लिये अत्यंत आवश्यक भी है इसलिये नदियों को संरक्षित रखना हम सबका कर्तत्व है। नदियों को स्वच्छ बनाने के लिये सरकार महत्वपूर्ण कदम उठा रही है लेकिन जब तक हम जागरुक नहीं होंगे और अपने स्तर पर उन्हें स्वच्छ रखने में पहल नहीं करेंगे तब तक नदियाँ कभी भी पूरी तरह से स्वच्छ नहीं हो पाएँगी इसलिये अपने-अपने स्तर पर अपने आस-पास की नदियों को स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त व प्लास्टिक फ्री रखना आवश्यक है।

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