परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज हिमालय दिवस के अवसर पर संदेश दिया कि ‘‘ हिमालय भारतीय संस्कृति का रक्षक है, हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जैव विविधता का अकूत भंडार भी है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 9 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज हिमालय दिवस के अवसर पर संदेश दिया कि ‘‘ हिमालय भारतीय संस्कृति का रक्षक है, हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जैव विविधता का अकूत भंडार भी है। हिमालय केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण है। हिमालय हमारा स्पिरिचुअल लैण्ड है और स्विटरजरलैंड भी हैं। नो हिमालय, नो गंगा, हिमालय है तो हम है, हिमालय है तो गंगा है. हिमालय स्वस्थ तो भारत मस्त। स्वामी जी ने कहा कि दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है। हिमालय ने जनसमुदाय के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से है। हिमालय भारत की भौतिक समृद्धि, दिव्यता, प्राकृतिक भव्यता, सांस्कृतिक सौंदर्य की एक पवित्र विरासत है जिसने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है। हिमालय लगभग 5 करोड़ से अधिक आबादी को आवास, भोजन और सुरक्षा प्रदान करता है। हिमालय केवल एक पहाड़ नहीं बल्कि भारत का रक्षक है। वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर में सूखा, अतिवृष्टि, बेमौसम वर्षा, रेगिस्तानों में वर्षा, जलग्रहण क्षेत्रों में कम वर्षा आदि से मानव जीवन तो प्रभावित हो ही रहा है साथ ही वन्य जीवों का विस्थापन, बड़ी संख्या में प्रजातियों का विलोपन और अन्य प्रभाव वातावरण में दिखायी दे रहे हैं परन्तु जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के रूप में देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया के दो हिस्सों एशिया और अंटार्कटिका में तापमान में वृद्धि के कारण वहां के ग्लेशियर सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।