विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर विशेषकर युवाओं को इन पंक्तियों के माध्यम से संदेश दिया कि ‘जिन्दगी केवल न जीने का बहाना, जिंदगी न केवल सांसों का खजाना, जिंदगी सिंदूर है पूरब का, जिंदगी का काम है हर दिन सूरज उगाना।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश, 10 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर विशेषकर युवाओं को इन पंक्तियों के माध्यम से संदेश दिया कि ‘जिन्दगी केवल न जीने का बहाना, जिंदगी न केवल सांसों का खजाना, जिंदगी सिंदूर है पूरब का, जिंदगी का काम है हर दिन सूरज उगाना। जिन्दगी में कई बार विपरीत समय आता है परन्तु उस एक क्षण में हमारे युवाओं को हारना नहीं है। जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान भी हमारे पास ही होता है बस जरूरत है तो धैर्य के साथ आगे बढ़ने की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति धैर्य और शान्ति की संस्कृति है इसलिये अपने मूल, मूल्य, जड़ों और संस्कृति से जुड़ें रहे। स्वामी ने कहा कि माना कि जिंदगी आसान नहीं, पर आत्महत्या भी कोई समाधान नहीं है। जिन्हें भी टेंशन है बस उन्हें थोड़ा अटेंशन चाहिए, थोड़ा प्यार चाहिये, थोड़ा अपनापन चाहिये। वर्तमान समय में तो सभी मानसिक समस्याओं का और सभी मानसिक बीमारियों का भी इलाज है, बस जरूरत है तो अपनी सोच को बदलने की। जीवन में आने वाले तनाव को समाप्त करने के लिये केवल दवाइयों की ही नहीं बल्कि अपनी लाइफ स्टाइल को भी बदलने की जरूरत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि तनाव और अवसाद से बाहर निकलने के लिये तीन मल्टीविटामिन्स अत्यंत आवश्यक है और वह है-मेडिटेशन, नो रिएक्शन, इंट्रोस्पेक्शन। मेडिटेशन इज द बेस्ट मेडिकेशन क्योंकि यह अकेलेपन को अपनेपन में बदल देता है, नो रिएक्शन हर छोटी-बड़ी बात पर रिएक्शन न करे तो भी हम अवसाद से बच सकते हैं तथा प्रतिदिन इंट्रोस्पेक्शन करते रहे तो जो भी अन्दर घट रहा है उसके प्रति हम जागृत रहंेगे तो तनाव होगा ही नहीं।