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अब बिना सहारे के सीढ़ी चढ़ेगा 58 वर्षीय विभुरंजन


58 वर्ष की अवस्था में रूमैटिक हार्ट डिसीज की समस्या से जूझ रहे एक रोगी के हृदय के वाॅल्व खराब हो चुके थे। समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उसके फेफड़ों में पानी भर गया और गुर्दे खराब होने से पेशाब में भी रुकावट होने लगी।

रिपोर्ट  - अंजना भट्ट घिल्डियाल

एम्स ऋषिकेश 11 सितंबर, 2023 58 वर्ष की अवस्था में रूमैटिक हार्ट डिसीज की समस्या से जूझ रहे एक रोगी के हृदय के वाॅल्व खराब हो चुके थे। समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उसके फेफड़ों में पानी भर गया और गुर्दे खराब होने से पेशाब में भी रुकावट होने लगी। चलने-फिरने में असमर्थ हुआ तो जीवन बचाने के लिए कई अस्पतालों में दौड़ भी लगाई, लेकिन उपचार कहीं नहीं मिला। ऐसे में एम्स ऋषिकेश के कार्डियोलाॅजी विभाग के चिकित्सकों ने बिना ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से रोगी के हृदय (हार्ट) के वाॅल्व सफलतापूर्वक रिप्लेसमेंट कर उसे नया जीवन प्रदान करने में सफलता पाई है। रोगी अब स्वस्थ है और बिना किसी सहारे के चलने-फिरने लगा है। उत्तर प्रदेश के जनपद पीलीभीत के रहने वाले विभुरंजन पाल पिछले 8-10 महीनों से दिल की बीमारी की गंभीर समस्या सहित शरीर के विभिन्न जटिल रोगों से ग्रसित थे। उनके हृदय के वाॅल्व खराब हो चुके थे और इलाज के अभाव में एक वाॅल्व सिकुड़कर छोटा हो चुका था। हालत यह थी कि हृदय की कार्य क्षमता घटकर महज 20 प्रतिशत ही रह गई थी। आस-पास के अस्पतालों ने उन्हें बताया कि उनकी बीमारी अब लाइलाज हो चुकी है और उनका ठीक होना असंभव है। उन्हें बताया गया कि उन्हें अब जीवनभर दवाओं पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। ऐसे में अंतिम उम्मीद लिए वह एम्स ऋषिकेश पहुंचे। यहां बीते माह 10 अगस्त को कार्डियोलाॅजी विभाग की ओपीडी में मौजूद कार्डियोलाॅजिस्ट प्रोफेसर भानु दुग्गल को उन्होंने अपनी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बताई और जीवन बचाने के लिए एम्स को अपनी आखिरी उम्मीद बताया।

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