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हमारी वैश्विक एकता का 8 - दिवसीय उत्सव, संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगांठ का उत्सव


संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगांठ के उत्सव विश्व एकता सप्ताह में आयोजित वेबनार में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सहभाग कर अपने विचार व्यक्त किये। इसमें लगभग 100 नागरिक समाज वैश्विक संगठन और अन्य संगठनों के गठबंधन से 20-27 जून, 2020 तक विश्व एकता सप्ताह मनाने हेतु एक साथ आए हैं।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 22 जून। संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगांठ के उत्सव विश्व एकता सप्ताह में आयोजित वेबनार में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सहभाग कर अपने विचार व्यक्त किये। इसमें लगभग 100 नागरिक समाज वैश्विक संगठन और अन्य संगठनों के गठबंधन से 20-27 जून, 2020 तक विश्व एकता सप्ताह मनाने हेतु एक साथ आए हैं। एक वैश्विक श्रृंखला ’विश्व एकता सप्ताह’ 27 जून को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के हस्ताक्षर की 75 वीं वर्षगांठ के उत्सव के साथ संपन्न होगी। विश्व एकता सप्ताह एक ऑनलाइन वैश्विक अभिसरण है, जो अंतःक्रियात्मक, क्रॉस-सांस्कृतिक, अंतःविषय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली इंटरैक्टिव घटनाओं की एक श्रृंखला है। विश्व संगठन के लोग जो विश्व एकता सप्ताह मनाने हेतु एक साथ आए हैं। सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम को 10 मिलियन से अधिक लोगों के संभावित दर्शकों को शामिल करते हुए मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे यूनिफाइ, यूपीएलआईएफटी, साइन नेटवर्क और शिफ्ट नेटवर्क द्वारा चलाया जा रहा है। इस वेबनार में मदर अर्थ की सुरक्षा और वैश्विक मानव परिवार के उत्थान के लिये कार्य करने हेतु विश्व विख्यात हस्तियों ने अपने विचार व्यक्त किये। विश्व एकता सप्ताह के दौरान प्रमुख रूप से जलवायु परिवर्तन, शांति के लिए साझेदारी, वैश्विक शासन व्यवस्था, अंतर-सद्भाव, अंतरजातीय न्याय, टिकाऊ और पुनर्योजी विकास, व्यापार और अर्थशास्त्र की भूमिका, मानव अधिकार, निरस्त्रीकरण और अन्य प्रमुख विषयों पर विस्तृत चर्चा की। इसमें प्रमुख रूप से चर्चा ’भविष्य का नया स्वरूप जिसे हम बनाना चाहते हैं।’ पर विचार विमर्श किया गया। जल, विश्व एकता सप्ताह का एक प्रमुख विषय भी है। विश्व एकता जल दिवस बुधवार 24 जून को मनाया जाएगा जो जल और जल से संबंधित मुद्दों के लिए समर्पित है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः धरती माता है और हम उसके बच्चे और अब तो लगता है कि कोरोना, मदर अर्थ का राजदूत बनकर आया है। कुदरत के फैसलों पर, ’’कभी शक ना करना, गर सजा मिल रही है, तो गुनाह भी हुआ होगा।’’ कहीं ना कहीं हमसे ही ज़रूर भूल हुई है। हमने प्रकृति को, प्रभु को भुला दिया, यही कारण है, यह प्रकृति का सीधा मैसेज है। कोरोना याद दिलाने आया है, सीधा मैसेज है हमें कोरोना से बचना है. बचना है तो प्रकृति को बचाना है। प्रकृति के लिए जीना, प्रकृति के साथ जीना, प्रकृति है तो हम हैं। ’मेरी प्रकृति, मेरी धरती, मेरी जान, मेरा गांव, मेरे प्राण’ यह अपनापन चाहिए। ’’रेगिस्तान भी हरे हो जाते हैं जब अपनों के साथ अपने खड़े हो जाते हैं,’’ आज यही अपनापन चाहिए, व्यक्ति या परिवार ही नहीं प्रकृति भी अपनी है। इस वेबनार में परमार्थ निकेेतन के परमाध्यक्ष और संस्थापक, ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डाॅ दीपक चोपड़ा प्रसिद्ध डाक्टर, आध्यात्मिक पुस्तकों के लेखक, मैरियन विलियमसन, अमेरिकी लेखक, आध्यात्मिक नेता, राजनीतिज्ञ और कार्यकर्ता, सुश्री आॅडी किटागावा, विश्व धर्म संसद के न्यासी बोर्ड की अध्यक्ष, अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती, चीफ़ फ़िल लेन जूनियर, रेवरेंड माइकल बर्नार्ड बेकविथ, अगापे इंटरनेशनल स्पिरिचुअल सेंटर के संस्थापक, जीन ह्यूस्टन एक अमेरिकी लेखिका, लाइला जून जाॅन्सटन, गायक व गीतकार राॅकी डावुनी, एक्टिविस्ट शीये बस्तिडा, और अन्य विश्व विख्यात हस्तियों ने सहभाग किया।

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