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विधवा बहनों को एक नयी युक्ति और नयी शक्ति के साथ स्वीकार करना होगा


परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज अन्तर्राष्ट्रीय विधवा दिवस के अवसर पर कहा कि मातृ शक्ति के संयम, धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा को नमन। उन्होंने कहा कि विधवा बहनों के लिये एक नयी युक्ति के साथ और नयी शक्ति के साथ समाज को आगे बढ़ना होगा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

23 जून, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज अन्तर्राष्ट्रीय विधवा दिवस के अवसर पर कहा कि मातृ शक्ति के संयम, धैर्य और कर्तव्यनिष्ठा को नमन। उन्होंने कहा कि विधवा बहनों के लिये एक नयी युक्ति के साथ और नयी शक्ति के साथ समाज को आगे बढ़ना होगा। विधवा बहनें, उनके बच्चें और परिवार को स्वच्छ सोच और सम्मान के साथ समाज को स्वीकार करना होगा क्योंकि वे भी इसी समाज का एक अभिन्न अंग हंै। अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस 23 जून 2014 को दुनिया भर में मनाया जाता है। सभी उम्र, क्षेत्र और संस्कृति की विधवाओं की स्थिति को विशेष पहचान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून 2011 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की थी तब से प्रतिवर्ष विधवाओं के प्रति समाज को जागरूक करने हेतु यह दिवस मनाया जाता है। परमार्थ निकेतन, जीवा संगठन द्वारा विधवा, अशिक्षित और गरीब महिलाओं के लिये सिलाई-बुनाई, कम्प्यूटर प्रशिक्षण, शौचालय निर्माण प्रशिक्षण, पुराने कपड़ों से सेनेटरी पैड बनाना आदि प्रशिक्षण समय-समय पर दिया जाता है जिससे वे आत्मनिर्भर होकर समाज में सम्मानजनक रूप से जीवनयापन कर सके। जीवा द्वारा ऋषिकेश और आस-पास के क्षेत्रों में प्रशिक्षण केन्द्र खोले गये है, जहां पर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के प्रत्येक परिवार को बेटियों को शिक्षित करने के लिये प्रतिबद्ध होना चाहिये ताकि वे जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान कर सकें। बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये शिक्षित करना नितांत आवश्यक है। ’शिक्षित बेटी - सशक्त महिला’ ही उत्कृष्ट समाज का निर्माण कर सकती हंै। शिक्षित महिलायें अपने जीवन की बागडोर अपने हाथों में ले सकती हंै; अपनी प्राथमिकताओं को तय कर सकती है और अपने जीवन की समस्याओं को सुलझा सकती हंै। उन्होेने कहा कि ’विधवा नहीं अबला बल्कि सबला’ जो पति की मृत्यु के बाद भी परिवार की सारी जिम्मेदारी और जवाबदेही का निर्वहन करती हैं। विधवाओं के प्रति कल्याणकारी योजनायें बनाना आवश्यक है परन्तु उनके प्रति स्वच्छ मानसिकता रखना नितांत आवश्यक है।

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