एम्स ऋषिकेश के जनरल मेडिसिन विभाग के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रविकांत ने मधुमेह से ग्रसित रोगी के लिए दवाओं के इस्तेमाल में सावधानी बरतने की सलाह दी है। डायबिटीज के पेशेन्ट के लिए उन्होंने सम्बंधित दवाओं की क्वालिटी, सेवन की विधि और जरूरी सावधानियों पर गम्भीरता बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
रिपोर्ट - अंजना भट्ट घिल्डियाल
एम्स ऋषिकेश के जनरल मेडिसिन विभाग के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रविकांत ने मधुमेह से ग्रसित रोगी के लिए दवाओं के इस्तेमाल में सावधानी बरतने की सलाह दी है। डायबिटीज के पेशेन्ट के लिए उन्होंने सम्बंधित दवाओं की क्वालिटी, सेवन की विधि और जरूरी सावधानियों पर गम्भीरता बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने मधुमेह से ग्रसित रोगी के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं - 1: मधुमेह में उपयोग की जाने वाली दवाएँ कौन सी हैं। मधुमेह में उपयोग होने वाली दवाएँ दो प्रकार से कार्य करती हैं। ये दवाएं या तेो शारीर से इंसुलिन निकालती हैं जैसे ग्लिमिपिरिड अथवा शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करती हैं जैसे की मेटफोर्मिन। आजकल मधुमेह के नियंत्रण के लिए कई नई प्रकार के दवाएं आ गई हैं जो पहले की दवाइयों की अपेक्षा ज्यादा सेफ हैं। एसजीएलटी 2 इनहुबिटर्स, जीएलपी 1 एनालॉग्स, थियोजोलिडाइनायड्स आदि बाजार में नए युग की मधुमेह विरोधी दवाएं हैं। 2: क्या मधुमेह की दवाएं उम्र के हिसाब से देनी चाहिए। मधुमेह की दवाएँ देते वक्त उम्र को ध्यान में रखना अतिआवश्यक है क्योंकि वृद्धावस्था में शुगर कम होने की संभावनाएँ अधिक होती। 3: कितने प्रकार के इंसुलिन उपलब्ध हैं? इंसुलिन चार प्रकार के होते हैं, तुरन्त असर करने वाला (त्वरित), जल्दी असर करने वाला, लंबी देर असर करने वाला, 24 घंटे असर करने वाला बाजार में मिश्रित इंसुलिन भी उपलब्ध हैं जिनमे दो प्रकार के इंसुलिन को मिला कर बनाये गए इंसुलिन भी शामिल हैं। सुविधा के लिए मिश्रित इंसुलिन काफी प्रचलित हैं जैसे 30/70, 25/75 या 50/50 का मिश्रण 30/70 इसमें 30 प्रतिशत त्वरित या जल्दी असर करने वाला एवं 70 प्रतिशत लंबी देर असर करने वाला इंसुलिन है। बाजार में प्रचलित इंसुलिन-40 यूनिट प्रति 1 एम.एल. या 100 यूनिट प्रति 1 एम.एल. के हिसाब से कांच की शीशी अथवा पैन में प्रयोग करने वाली रिफिल के रूप में उपलब्ध है। तालिका सं. 7 एवं चित्र सं. 11 में इंसुलिन की विस्तृत जानकारी एवं उसके कार्य क्षमता का समय एवं खाने से संबंध दर्शाया गया है। 4: इंसुलिन लगाने के स्थान क्या हैं? इंसुलिन का इंजेक्शन चमड़ी के नीचे एवं मासपेशियों के ऊपर लगाना चाि । इंसुलिन को घर में फ्रीज अथवा ठन्डे स्थान पर रखें। फ्रीज नहीं होने पर पानी के कुलहढ़ में रख सकते हैं। इन्सुलिन लगाने का सर्वोत्तम स्थान पेट की चमड़ी है। इसके बाद जांघ या कूल्हे तथा अन्त में बांह की चमड़ी। इंसुलिन लगाने के बाद उस स्थान को मसले नहीं। इंसुलिन लगाने के बाद सीरिंज को तुरन्त बाहर न निकालें कुछ सेकंड रुक कर निकले। जब पैन का प्रयोग करे तो 15-20 सेकंड रुक कर सुई निकालें। इंसुलिन लगातार एक ही स्थान पार लगाने से चमड़ी खराब हो सकती है। अतः जगह बदल कर लगाते रहें।