Latest News

अपार्टमेंट, फ्लैट्स बेचकर राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व की लगाई चपत।


माफियाओं ने अधिकारियों को भी किया मालामाल शासन के जांच के आदेश को भी दबाकर बैठें हैं अधिकारी। अखाड़ों के महंतों, भू-माफियाओं, राजनेताओं और हरिद्वार - रुड़की विकास प्राधिकरण में जबरदस्त गठजोड़ है। इस गठजोड़ ने अखाड़ों की कुंभ मेला की सार्वजनिक तथा सरकारी नजूल भूमि जो कुंभ मेला के लिए आरक्षित होती थी उसको बहुमंजिले अपार्टमेंट, फ्लैट्स बनाकर ठिकाने लगा दिया है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

कुम्भ नगरी में माफियाओं ने अधिकारियों को भी किया मालामाल शासन के जांच के आदेश को भी दबाकर बैठें हैं अधिकारी। अखाड़ों के महंतों, भू-माफियाओं, राजनेताओं और हरिद्वार - रुड़की विकास प्राधिकरण में जबरदस्त गठजोड़ है। इस गठजोड़ ने अखाड़ों की कुंभ मेला की सार्वजनिक तथा सरकारी नजूल भूमि जो कुंभ मेला के लिए आरक्षित होती थी उसको बहुमंजिले अपार्टमेंट, फ्लैट्स बनाकर ठिकाने लगा दिया है। एक सौ रुपए के स्टाम्प पर करोड़ों के फ्लैट्स बेच दिए गए हैं। कुंभ के लिए भूमि ही नहीं बची है इसलिए शहर से बाहर व्यवस्था करनी पड़ रही है। जिस पर सरकार करोड़ों रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। हरिद्वार - रूड़की विकास प्राधिकरण से पूछा जाना चाहिए कि अखाड़ों, आश्रमों की कुंभ कहां चली गई है। प्राधिकरण का गठन तो नियोजित विकास के लिए ही किया गया है कहां हैं नियोजित विकास। यह गठजोड़ इतना मजबूत तथा पहुंच वाला है कि जिसने हर की पैड़ी पर बहने वाली गंगा की अविच्छिन्न धारा को ही सरकार से नहर घोषित करा दिया और अब हर की पैड़ी पर गंगा नहीं नहर बह रही है। इस कुख्यात गठजोड़ ने अखाड़ों की कुंभमेला भूमि पर बने अपार्टमेंट, फ्लैट्स की बिना रजिस्ट्री के अवैध रूप से खरीद-फरोख्त कर राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की चपत लगाई है। शासन के द्वारा जांच के लिए भेजे एक आदेश से इसका पता चलता है। यह गठजोड़ इतना शक्तिशाली है कि शासन के जांच आदेश को भी हवा नहीं लगने दी है। उत्तराखंड शासन राजस्व अनुभाग - 2, गृह अनुभाग -2 ने अक्टूबर 2015 में सन्यासी अखाड़ों के बहुमंजिले अपार्टमेंट, फ्लैट्स की बिना रजिस्ट्री के खरीद - फरोख्त से राज्य सरकार को हुई राजस्व हानि तथा जिस भूमि पर निर्माण हुए हैं उसकी जांच करने का आदेश दिया था। अर्द्धकुंभ मेला 2016 के आयोजन को भूमि की आवश्यकता तथा सुरक्षा के मद्देनजर शासन का ध्यान आरक्षित मेला भूमि पर अवैध रूप से भू-उपयोग परिवर्तन के बिना बहुमंजिले अपार्टमेंट, फ्लैट्स तथा व्यवसायिक निर्माण की ओर दिलाया गया था। अखाड़े, आश्रम भी अपने आप में सार्वजनिक संपत्ति हैं।जिस जितना महंतों का अधिकार है उतना ही जनता का भी है। लेकिन माफियाओं ने उसको अपनी बपौती बना लिया है। बपौती बनानें में खूनी संघर्ष की कहानी अलग है। महंतों के दामन पर खून के छींटें हैं। इस एक बात इसको समझा जा सकता है कि एक अखाड़े के महंत के लापता होने की जब सीबीआई से जांच कराने की बात चली तो महंतों व राजनेताओं के गठजोड़ ने इसका विरोध किया और उस महंत को जमीन निगल गया या आसमान किसी को पता नहीं है। शासन ने जो जांघ का आदेश दिया था उसमें यह बताना था कि निर्माण का नक्शे का आवेदन किसने किया तथा अभिलेख में भूमि किसकी, निजी, सार्वजनिक व नजूल, मेला आदि किस प्रकार की है। निर्माण नक्शे के विपरीत अथवा अवैध है। राजस्व विभाग, प्राधिकरण, नगर निगम, जल संस्थान, विद्युत विभाग तथा पुलिस को संयुक्त रूप से जांच कर रिपोर्ट देनी थी कि अखाड़ों के फ्लैट्स में कौन लोग रहे हैं और कैसे, उनका बिजली, पानी का कनेक्शन अलग-अलग व्यक्तियों के नाम हैं या अखाड़ों के, किराएदार हैं तो उसका प्रमाण, हाऊस टैक्स किसके नाम से जमा हो रहा है इत्यादि। लेकिन शासन के इस जांच आदेश को भी उक्त गठजोड़ ने आया गया कर दिया।

Related Post