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राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे पत्थरों को 23 तरह के केमिकल से चमकाया जा रहा है


राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे पत्थरों को 23 तरह के केमिकल से चमकाया जा रहा, दिल्ली की एक कंपनी कर रही यहां श्रीराम जन्मभूमि न्यास की ओर से मंदिर निर्माण की कार्यशाला की स्थापना साल 1992 में की गई थी। लंबे समय से रखे पत्थरों पर डस्ट जमने की वजह से इनको साफ करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

रिपोर्ट  - à¤…जय सिन्हा

अयोध्या / राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे पत्थरों को 23 तरह के केमिकल से चमकाया जा रहा, दिल्ली की एक कंपनी कर रही यहां श्रीराम जन्मभूमि न्यास की ओर से मंदिर निर्माण की कार्यशाला की स्थापना साल 1992 में की गई थी। लंबे समय से रखे पत्थरों पर डस्ट जमने की वजह से इनको साफ करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कंपनी के अनुसार, तीन महीने में पूरा हो जाएगा सफाई का काम श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में करीब 1 लाख घनफुट पत्थर तराशे गए हैं अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में तराश कर रखे गए करीब 1 लाख घनफुट पत्थरों पर जमा काई की सफाई करके इसे चमकाने का काम अब तेज कर दिया गया है। यह कामदिल्ली की कंस्ट्रक्शन कंपनी केएलए करवा रही है। एक हफ्ते पहले इस काम को शुरु किया गया है। कंपनी के सूत्रों के मुताबिक काम जल्द पूरा करने के लिए लेबर क्षमता बढ़ा दी गई है। अब इसकी सफाई करने वाले कारीगरों की संख्या करीब 15 हो गई है। शुरुआत में 5 कारीगरों ने पत्थरों की सफाई का काम शुरू किया था। पत्थरों को चमकाने के लिए 23 तरह के केमिकल का उपयोगकिया जा रहा है। असमें करीब 3 महीने का समय लग सकता है। मंदिर के भूतल के पत्थर तैयार हैं वीएचपी मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के मुताबिक कार्यशाला में 28 सालोंसे पत्थरों को तराशने का काम चल रहा है। इसमें 1 लाख घनफुट पत्थर तराशे गए हैं। ये पत्थर मंदिर के भूतल के हैं। अब तक मंदिर के भूतल, सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप, कोली गर्भ गृह, स्तंभ बीम व छत के पत्थरों को तराशा जा चुका है। अब मंदिर के प्रथम तल के पत्थरों को भी तेजी से तराशने का काम होगा। तराशे गए पत्थरों की सफाई करते श्रमिक। 1992 में कार्याशाला की हुई थी स्थापना श्रीराम जन्मभूमि न्यास की ओर से मंदिर निर्माण की कार्यशाला की स्थापना साल 1992 में की गई थी। लंबे समय से रखे पत्थरों पर डस्ट जमने की वजह से इनको साफ करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर संजय जेडिया ने बताया कि, पत्थरों की सफाई काम प्रमुखतया पानी से किया जा रहा है। इसके बावजूद अगर डस्ट या काई साफ नहीं होता तो स्टेन, एल्बो सीमेंट, डस्ट रिमूवर और पेंट रिमूवर जैसे केमिकल इस्तेमाल होते हैं। मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का भी काम शुरू हो गया है।

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