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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के द्वारा कल सांय को एक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन


संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर वर्षभर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के द्वारा कल सांय को एक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का विषय "भारतीय संविधान में मानव कल्याण के प्रावधान" रखा गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में नरेंद्रनगर (टिहरी गढ़वाल)के सिविल जज भूपेंद्र सिंह शाह ने अपना वक्तव्य दिया।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर वर्षभर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के द्वारा कल सांय को एक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का विषय "भारतीय संविधान में मानव कल्याण के प्रावधान" रखा गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में नरेंद्रनगर (टिहरी गढ़वाल)के सिविल जज भूपेंद्र सिंह शाह ने अपना वक्तव्य दिया। ऑनलाइन व्याख्यान की शुरुआत करते हुए कार्यक्रम के नोडल अधिकारी प्रो० एम०एम० सेमवाल ने वक्ता और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना महामारी से उपजे संकट का सदुपयोग विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन गतिविधियों को बढ़ावा दे कर किया जा रहा है। जो कि भविष्य के लिए भी अवसरों को खोलेगा। प्रो० सेमवाल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित किये जा रहे है। ताकि युवा पीढ़ी को संविधान और अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जा सके। हमारी आजादी की लड़ाई के बाद बना संविधान हमारे पूर्वजों का सपना है जो हमारे देश की बेहतरी के लक्ष्य को भी हमारे सामने प्रस्तुत करता है। हमें केवल अपने अधिकारों के प्रति नही बल्कि कर्तव्यों के प्रति भी जिम्मेदार होने की जरूरत है ताकि देश के विकास में योगदान दे सके। गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि हमारा संविधान का प्रत्येक अनुच्छेद मानवकल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने ये भी कहा कि इस तरह के कार्यक्रम विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों का प्रसार है। मुख्य वक्ता सिविल जज भूपेंद्र सिंह शाह ने भारतीय संविधान की जानकारी देते हुए कहा कि न केवल हमारा संविधान बल्कि प्रस्तावना में भी मानव कल्याण के प्रावधान किए गए है जो कि संविधान की विराटता को दिखाता है। हमारा संविधान जहाँ राज्य को बहुत सारी शक्तियाँ देता है तो वही जनता को मौलिक अधिकार दे कर राज्य की शक्तियों पर नियंत्रण भी लगाता है। संविधान के मानव कल्याण के प्रावधान मौलिक अधिकारों के अलावा नीति निदेशक तत्वों में भी राज्य से कल्याणकारी राज्य बनने की उम्मीद की गई है। संविधान के मानव कल्याण के प्रावधान हमारी योजनाओं में भी दिखते है। मनरेगा और पेंशन योजनायें इन का उदाहरण है। सिविल जज ने मौलिक कर्तव्यों पर बोलते हुए कहा कि इस वैश्विक महामारी के दौरान हमे अपने नागरिक कर्तव्यों के प्रति सजग रहना होगा. प्रो० सीमा धवन ने कार्यक्रम का संचालन किया। तथा वक्ताओं का स्वागत प्रो० महावीर सिंह नेगी ने किया। डा०आर एस फर्तियाल ने अंत में सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया. इस कार्यक्रम के अवसर पर देश के अनेक विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राऐं तथा शोध छात्र मौजूद रहे। इसके साथ ही कार्यक्रम की आयोजन समिति के सदस्य डॉ० प्रशांत कंडारी, डा०ज्योति तिवारी डॉ० नितिन सती, डॉक्टर अरुण शेखर बहुगुणा, डॉ आर०एस० फरतियाल बाद सर्वश उनियाल प्रो राकेश कुमार आदि मौजूद रहे।इस अवसर पर लगभग 28 विश्वविद्यालयों के 316 प्रतिभागीयो ने पंजीकरण कराया था.गूगल मीट एवं फेसबुक लाइव के माध्यम से प्रतिभागी जुड़े थे।

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