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राम मंदिर में जो प्राणप्रतिष्ठा हो रही है, वह धार्मिक रीति-रिवाज के अनुकूल नहीं है - स्वामी शिवानंद


मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं | एक व्यक्त है, बड़ा सीधा कपड़ा पहन रहा है, टेंट में रह रहा है, उसके लिए यदि विशाल भवन बन जाए और उस विशाल भवन में उसको जाने के लिए कहा जाए, तो क्या वहां वही व्यक्ति जाएगा कि उस व्यक्ति को उठाकर फेंक दिया जाएगा।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

कल भी मैंने अपना वक्तव्य जारी किया था | राम मंदिर में जो प्राणप्रतिष्ठा हो रही है, वह धार्मिक रीति-रिवाज के अनुकूल नहीं है | मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं | एक व्यक्त है, बड़ा सीधा कपड़ा पहन रहा है, टेंट में रह रहा है, उसके लिए यदि विशाल भवन बन जाए और उस विशाल भवन में उसको जाने के लिए कहा जाए, तो क्या वहां वही व्यक्ति जाएगा कि उस व्यक्ति को उठाकर फेंक दिया जाएगा और उसके नाम से दूसरे व्यक्ति को रखा जाएगा? यह छोटासा तर्क है और खासकरके जिस विग्रह में राम प्रतिष्ठित थे, उस विग्रह से अक्षत पूजा करके भारतवर्ष के घर-घर में बांटा जा रहा है | अब वो विग्रह से ही प्राण को हटा दिया जायगा तो उस अक्षत का क्या होगा? क्या भारतवर्ष अज्ञानियों की भूमि हो गई है, यह राम जन्मभूमि के जितने ठेकेदार सब है, वह सबके-सब धर्म का लेश मात्र नहीं जानतें हैं? मैं उन तथाकथित धार्मिक संस्थाओं से कहना चाहता हूँ। आपके एक भी ऑफिस में कौनसा धर्म-ग्रन्थ रखा हुआ है? कौनसा ऐसा समय है जिसमें आप धर्म की चर्चा करते हैं? मैंने एक भी नहीं देखा ऐसा इन तथाकथित स्वयं की सेवा करने वाली संस्था है, उसमे कोई धार्मिक चर्चा होती हो, जो धर्म के ठेकेदार हो गए अब हमें बताएँ, हमारे पास भी अक्षत आया है, इस विग्रह में प्रतिती हो करके राम का प्रसाद आया है, वह विग्रह को हटा दिया जायगा, पता नहीं, अप्रतिष्ठित प्राण कहाँ जायगा? ये छोटीसी बात है । दूसरी बात आज पेपर में आया है, ठीक है मोदीजी जा रहे है प्राणप्रतिष्ठा करने, तो नियमतः तो वहां ऋषियों को करना चाहिए था। गलत ढंग से हो रहा है कि वे पूजा करेंगे, इसके लिए निश्चित है कि यह पूरे समय में व्रत किया जाता है। आज पेपर में आया है, ग्यारह दिन का वो अनुष्ठान कर रहे हैं, अब जान लें, ............ आया है पतंजलि सूत्र का यम-नियम, तो यम में अहिंसा है, पहला ये पॉलिटिकल भाषण करेंगे और दूसरे की निंदा करना हिंसा होता है, तो उसमें स्वाभाविक है पॉलिटिकल भाषण पॉलिटिकल होता है, करते हैं समालोचना लेकिन अनुष्ठान में कर्म का बहिष्कार होता है। अपने कर्म से छोड़ करके एकांगी रूप से अनुष्ठान होता है - जमीन पर सोना, दिन में एक ही बार भोजन करना, सयंमित भाषा बोलना और प्रतिदिन एक-एक अपने किये हुआ पापों का प्रायश्चित करना और खास करके उस समय में हम जो झूठ बोले है, हम यह नहीं कह सकते हैं कि मोदीजी सत्यवादी ही हैं, इसमें यह तो तमका उनको कभी लग ही नहीं सकता है, उनके किसी पार्टीवाले को भी नहीं सुना बोलते कि मोदीजी सत्यवादि ही हैं, तो वह जो असत्य बोले हैं, जो जो खास करके मुख्य असत्य जो उनको कौंधता होगा, एकांत बैठने पर इस एक एक असत्य का पर्दाफाश करें । ग्यारह दिन में अपने ग्यारह असत्य का, और अपने ऐसे किसी भी काम में जो उनके अपने अंतःकरण में ज़ब उठता होगा, ज़ब शांत बैठते होंगे, उसका प्रायश्चित करें, तब वे इस पात्र हो सकते हैं कि उस विशालकाय राम मंदिर में, जिसमें पूरे भारतवर्ष कौन कहे, पूरे विश्व के लोगों की आस्था का केंद्र है, उसके वह यजमान के रूप में जा सकते हैं, यदि शास्त्र सम्मति देता है तो, मैं यह भी कह रहा हूँ कि शास्त्र भी उन्हें अनुमति देता है तो जा सकते है, शास्त्रीय अनुमति से जा सकते है। अन्यथा यहाँ भी अधर्म हो रहा है, प्रायश्चित के नाम पर भी, व्रत के नाम पर भी यह जो ढोंग रचा जा रहा है, यह भी अपने आप में गलत है, मातृ सदन धर्म में है, धर्म का अक्षरश: पालन करती है और यहाँ धार्मिक कृत्य होगा चाहे कोई भी रहे, मातृ सदन उसका समीचीन समय पर जवाब देगी, अब मैं इसलिए चैनल चला रहा हूँ कि बहुत असत्य हो गया, भारतवर्ष में असत्य का साम्राज्य हो गया, अधर्म का साम्राज्य हो गया, पाखंडियो का साम्राज्य हो गया और यह पाखंडी लोग जो कलिकाल में कहा गया है कि पाखंडी हो जाएगा, इस पाखंड का पर्दाफाश हो जाना चाहिए। इसिलिए मैं प्रतिदिन कुछ न कुछ ऐसी बातों को, जिस भी किसी फिल्ड का हो, निष्पक्ष रूप से, किसीके ऊपर राग-द्वेष को न रखते हुए, समाज का कल्याण, विश्व का कल्याण, मानवता का कल्याण, राष्ट्र का हित, ब्रम्हांड का हित, विश्व का हित, देवी देवताओं का भी हित इसमें समाहित होगा, इतनी शक्ति जागृत होगी, मातृ सदन पहले तो आतंरिक शुद्धि करती थी, कर ही रही है, अब भौतिक भी कर रही है।

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