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रुद्रप्रयाग कृषि विज्ञान जाखधार का जिलाधिकारी ने किया निरीक्षण।


केवीके के माध्यम से जनपद के कृषकों को किया जा रहा है तकनीकी का हस्तांतरण। इससे जनपद के कृषक अपने खेतों में नवीन तकनीकी का प्रयोग कर उत्पादन में लाभ ले रहे हैं। किसानों के लिए खरपतवार सबसे बड़ा सर दर्द बनते हैं। इनसे फसल को बचाने के लिए किसान निराई गुड़ाई कराते हैं लेकिन इस पर काफी खर्च है। ऐसे में मल्चिंग काफी कारगर हो सकती है।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

रुद्रप्रयाग 02 जुलाई 2020 कृषि विज्ञान जाखधार का जिलाधिकारी ने किया निरीक्षण। केवीके के माध्यम से जनपद के कृषकों को किया जा रहा है तकनीकी का हस्तांतरण। इससे जनपद के कृषक अपने खेतों में नवीन तकनीकी का प्रयोग कर उत्पादन में लाभ ले रहे हैं। किसानों के लिए खरपतवार सबसे बड़ा सर दर्द बनते हैं। इनसे फसल को बचाने के लिए किसान निराई गुड़ाई कराते हैं लेकिन इस पर काफी खर्च है। ऐसे में मल्चिंग काफी कारगर हो सकती है। केवीके के निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि पहाड़ में कृषकों में खेतों की जोत का आकार बहुत छोटा होता है। उपलब्ध जोत से ही कृषकों की आय में वृद्वि की जाय, इसके लिये उत्पाद का मूल्य संवर्धन आवश्यक है। इसके साथ ही उत्पाद की लैब टेस्टिंग की जाय, जिससे उत्पाद की विशेषता व अवस्थित गुणों को भी उपभोक्ताओं को बताया जा सके। उत्पादों की पैकेजिंग आकर्षक होनी चाहिये, पहाड़ के उत्पाद जैविक, स्वास्थ्य वर्धक व औषधीय गुणों से युक्त है। इन सभी चीजों को उपभोक्ताओं को बताने से ही उत्पाद की कीमत किसानों को मिलेगी। केवीके के सभागार में डॉ संजय सचान ने केवीके में किये जा रहे कार्यों की पीपीटी के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने जनपद में कृषि व उद्यान की वस्तुस्थिति से अवगत कराया है व आगामी समय मे लाल व काले धान के प्रयोग की बात कही। केवीके के वैज्ञानिक डॉ संजय सचान ने सभी कृषकों से खेत के चारों और गेंदे की खेती करने को कहा। इससे खेत में उग रही सब्जी व अन्य चीजें कीटों से सुरक्षित रहती है। उन्होंने कृषकों से मल्चिंग विधि से सब्जी का उत्पादन करने की बात कही। जब खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक फिल्म द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है, तो इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है। इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है और फसल उत्पादन भी बढ़ता है। बता दें कि यह फिल्म कई प्रकार और कई रंग में उपलब्ध होती है। इस तकनीक से खेत में पानी की नमी को बनाए रखने और वाष्पीकरण रोका जाता है। ये तकनीक खेत में मिट्टी के कटाव को भी रोकती है और खेत में खरपतवार को होने से बचाया जाता है। बागवानी में होने वाले खरपतवार नियंत्रण एवं पोधों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने में बहुत सहायक होती है। क्यों की इसमे भूमि के कठोर होने से बचाया जा सकता है और पोधों की जड़ों का विकास अच्छा होता है। इसके साथ ही जिलाधिकारी द्वारा देवर में कृषक मुकेश लाल के पॉली हाउस, होम स्टे का निरीक्षण भी किया गया। इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉ डी के चैरसिया, सीडीओ मनविंदर कौर, डीएचओ योगेंद्र सिंह, बीएसए सुघर सिंह वर्मा सहित अन्य उपस्थित थे।

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