केवीके के माधà¥à¤¯à¤® से जनपद के कृषकों को किया जा रहा है तकनीकी का हसà¥à¤¤à¤¾à¤‚तरण। इससे जनपद के कृषक अपने खेतों में नवीन तकनीकी का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में लाठले रहे हैं। किसानों के लिठखरपतवार सबसे बड़ा सर दरà¥à¤¦ बनते हैं। इनसे फसल को बचाने के लिठकिसान निराई गà¥à¥œà¤¾à¤ˆ कराते हैं लेकिन इस पर काफी खरà¥à¤š है। à¤à¤¸à¥‡ में मलà¥à¤šà¤¿à¤‚ग काफी कारगर हो सकती है।
रिपोर्ट - अंजना à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ घिलà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤²
रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— 02 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2020 कृषि विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ जाखधार का जिलाधिकारी ने किया निरीकà¥à¤·à¤£à¥¤ केवीके के माधà¥à¤¯à¤® से जनपद के कृषकों को किया जा रहा है तकनीकी का हसà¥à¤¤à¤¾à¤‚तरण। इससे जनपद के कृषक अपने खेतों में नवीन तकनीकी का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में लाठले रहे हैं। किसानों के लिठखरपतवार सबसे बड़ा सर दरà¥à¤¦ बनते हैं। इनसे फसल को बचाने के लिठकिसान निराई गà¥à¥œà¤¾à¤ˆ कराते हैं लेकिन इस पर काफी खरà¥à¤š है। à¤à¤¸à¥‡ में मलà¥à¤šà¤¿à¤‚ग काफी कारगर हो सकती है। केवीके के निरीकà¥à¤·à¤£ के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि पहाड़ में कृषकों में खेतों की जोत का आकार बहà¥à¤¤ छोटा होता है। उपलबà¥à¤§ जोत से ही कृषकों की आय में वृदà¥à¤µà¤¿ की जाय, इसके लिये उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ का मूलà¥à¤¯ संवरà¥à¤§à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤• है। इसके साथ ही उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ की लैब टेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग की जाय, जिससे उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ की विशेषता व अवसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को बताया जा सके। उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ की पैकेजिंग आकरà¥à¤·à¤• होनी चाहिये, पहाड़ के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ जैविक, सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ वरà¥à¤§à¤• व औषधीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ है। इन सà¤à¥€ चीजों को उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को बताने से ही उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ की कीमत किसानों को मिलेगी। केवीके के सà¤à¤¾à¤—ार में डॉ संजय सचान ने केवीके में किये जा रहे कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पीपीटी के माधà¥à¤¯à¤® से विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से जानकारी दी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जनपद में कृषि व उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ की वसà¥à¤¤à¥à¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से अवगत कराया है व आगामी समय मे लाल व काले धान के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— की बात कही। केवीके के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• डॉ संजय सचान ने सà¤à¥€ कृषकों से खेत के चारों और गेंदे की खेती करने को कहा। इससे खेत में उग रही सबà¥à¤œà¥€ व अनà¥à¤¯ चीजें कीटों से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कृषकों से मलà¥à¤šà¤¿à¤‚ग विधि से सबà¥à¤œà¥€ का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करने की बात कही। जब खेत में लगाठगठपौधों की जमीन को चारों तरफ से पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• फिलà¥à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ तरह ढक दिया जाता है, तो इस विधि को पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• मलà¥à¤šà¤¿à¤‚ग कहा जाता है। इस तरह पौधों की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ होती है और फसल उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ à¤à¥€ बà¥à¤¤à¤¾ है। बता दें कि यह फिलà¥à¤® कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° और कई रंग में उपलबà¥à¤§ होती है। इस तकनीक से खेत में पानी की नमी को बनाठरखने और वाषà¥à¤ªà¥€à¤•à¤°à¤£ रोका जाता है। ये तकनीक खेत में मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कटाव को à¤à¥€ रोकती है और खेत में खरपतवार को होने से बचाया जाता है। बागवानी में होने वाले खरपतवार नियंतà¥à¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ पोधों को लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखने में बहà¥à¤¤ सहायक होती है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की इसमे à¤à¥‚मि के कठोर होने से बचाया जा सकता है और पोधों की जड़ों का विकास अचà¥à¤›à¤¾ होता है। इसके साथ ही जिलाधिकारी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ देवर में कृषक मà¥à¤•à¥‡à¤¶ लाल के पॉली हाउस, होम सà¥à¤Ÿà¥‡ का निरीकà¥à¤·à¤£ à¤à¥€ किया गया। इस अवसर पर वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• डॉ डी के चैरसिया, सीडीओ मनविंदर कौर, डीà¤à¤šà¤“ योगेंदà¥à¤° सिंह, बीà¤à¤¸à¤ सà¥à¤˜à¤° सिंह वरà¥à¤®à¤¾ सहित अनà¥à¤¯ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे।