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माॅ व्यक्ति के जीवन में सर्वप्रथम गुरू, जीवन को मुक्ति की ओर प्रेरित करने वाला तत्वज्ञानी


गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग मे अध्ययनरत शोध छात्र तथा एमपीएड एवं बी0पी0एड0 छात्रों ने गुरू के प्रति समर्पण भाव की अभिव्यक्ति करते हुए आॅनलाईन तथा व्हाटसअप द्वारा गुरू का सम्मान किया।

रिपोर्ट  - ALL NEWS BHARAT

05.07.2020- गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग मे अध्ययनरत शोध छात्र तथा एमपीएड एवं बी0पी0एड0 छात्रों ने गुरू के प्रति समर्पण भाव की अभिव्यक्ति करते हुए आॅनलाईन तथा व्हाटसअप द्वारा गुरू का सम्मान किया। कोविड के कारण देश मे उत्पन्न स्थिति मे सहयोग करते हुए तथा अपनी प्राचीन परम्परा का बोध करते हुए छात्रों ने गुरूओं की महिमा तथा समाज मे उनकी भूमिका को नमन करते हुए गुरू-पूर्णिमा पर्व मनाया। इस अवसर पर विभागीय शिक्षकों ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से छात्रों से संवाद किया। विभागाध्यक्ष प्रो0 आर0के0एस0 डागर ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहाॅ कि बदले स्वरूप में हमे अपनी पुरातन व्यवस्था को नही भुलाना चाहिए। आत्म निर्भरता व्यक्ति के जीवन मे सदैव महत्वपूर्ण रही है। लेकिन कोविड के कारण बदली स्थिति में आज इसके मायने अलग है। असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ0 अजय मलिक ने कहाॅ कि छात्र के कल्याण के लिए गुरू सदैव तत्पर रहता है। गुरू पूर्णिमा कार्यक्रम मे बोलते हुए डाॅ0 शिवकुमार ने कहाॅ कि छात्रों को जीवन मे गुरू के प्रति अनादर का भाव कभी भी मन मे नही लाना चाहिए। जीवन मे विषम स्थितियाॅ ही व्यक्ति को सही और गलत का बोध कराती है। जीवनदायनी माॅ व्यक्ति की पहली गुरू होती है। जिससे तत्वज्ञान के माध्यम से अपनी उन्नति करने के लिए गुरू की शरण मे जाना पडता है। कार्यक्रम को डाॅ0 कपिल मिश्रा, डाॅ अनुज कुमार आदि ने भी सम्बोधित किया। सामाजिक दूरी का पालन करते हुए इस वर्ष गुरू पूर्णिमा कार्यक्रम को मनाने की यह नई परम्परा विकसित हुई है। परन्तु प्रसन्नता यह है कि व्यवस्था मे विषमता होने पर भी अपनी संस्कृति के प्रति भाव व्यक्त करने का तरीका नही बदला। कोरोना महामारी के कारण छात्रों द्वारा मोबाईल के माध्यम से गुरू पूर्णिमा पर्व मनाने की यह पहल सराहनीय रही।

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