उपस्थित शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सोमदेव शतांशु ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती के सपनों को मूर्त रूप देने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय का स्थापना दिवस समविश्वविद्यालय में मनाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारम्भ समविश्वविद्यालय की माता लाल देवी यज्ञशाला में यज्ञ से किया गया। इस अवसर पर उपस्थित शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सोमदेव शतांशु ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती के सपनों को मूर्त रूप देने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। सौ वर्ष से अधिक समय पूर्व 1902 में स्वामी श्रद्धानन्द गुजरांवाला से गुरुकुल के शिष्यों को लेकर हरिद्वार पहुंचे थे जहां उन्होंने नीलधारा नदी के तट पर गुरुकुल स्थापित किया जिसे वर्तमान में पुण्य भूमि के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल के शिक्षक छात्रों को आधुनिक विषयों के साथ-साथ प्राचीन वैदिक शिक्षा व भारतीय संस्कृति व संस्कारों से पल्लवित करने का कार्य कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति में भी गुरुकुलीय शिक्षा को महत्व दिया गया है। छात्रों को संस्कारित करने के लिए आवासीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का विशेष महत्व है। इसके माध्यम से छात्र शिक्षकों (आचार्य) के संरक्षण में संस्कारवान बनने की दिशा में अग्रसर होते हैं। इस अवसर पर प्रो0 सुरेन्द्र त्यागी, प्रो0 वी0के0 सिंह, डा0 विपुल शर्मा, प्रो0 डी0एस0 मलिक, प्रो0 नवनीत, प्रो0 अंबुज शर्मा, प्रो0 सुचित्रा मलिक, प्रो0 विवेक गुप्ता, रजनीश भारद्वाज व शशिकान्त शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए उपस्थित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को शुभकामनाएं देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चल विश्वविद्यालय को प्रगति के पथ पर ले जाने का आह्वान किया।