प्रो० सी० एम० शर्मा (कैंपस डायरेक्टर, हे. न. ब. ग. विवि) मुख्य अथिति के रूप में मौजूद रहे। मुख्य वक्ताओं में डॉ० संजय शर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय, पॉन्डिचेरी) एवम डॉ० भास्करन (असिस्टेंट प्रोफेसर, हे. न. ब. ग. विवि) शामिल रहे।
रिपोर्ट - अंजना भट्ट घिल्डियाल
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरास परिसर के फार्मास्यूटिकल साइंस विभाग में आई० आई० सी०, हे. न. ब. ग. विवि द्वारा विश्व बौद्धिक संपदा दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रो० सी० एम० शर्मा (कैंपस डायरेक्टर, हे. न. ब. ग. विवि) मुख्य अथिति के रूप में मौजूद रहे। मुख्य वक्ताओं में डॉ० संजय शर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय, पॉन्डिचेरी) एवम डॉ० भास्करन (असिस्टेंट प्रोफेसर, हे. न. ब. ग. विवि) शामिल रहे। आई आई सी- गढ़वाल विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ राम कुमार साहू ने कार्यक्रम का प्रारम्भ करते हुए वर्तमान समय बौद्धिक सम्पदा एवं पटेंट के महत्व को बताया l डॉ साहू ने बताया कि आज अपने शोध को बौद्धिक सम्पदा से जोड़कर करने की आवश्यकता है जिससे कि पटेंट आदि के द्वारा देश के विकास में सहायक मिले और देश के शोध को दुनिया पहचाने l कार्यक्रम में विश्व बौद्धिक संपदा दिवस से जुड़ी चर्चा में कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार रहे :– प्रो. सी. एम. शर्मा ने पेटेंट की अहमियत को बौद्धिक संपदा के संदर्भ में उजागर करते हुए कॉपीराइट, ट्रेड सीक्रेट्स इत्यादि पर चर्चा करी। प्रो. अजय जी. नामदेव ने इनोवेशन को लेबोरेट्री एक्सपेरिमेंट्स पर बात करते हुए उदाहरणों से समझाया और प्लेजियरिज्म के महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता, डॉ. संजय शर्मा द्वारा अर्थव्यवस्था, औद्योगिक क्षेत्र, ज्ञान का विकास की कुंजी होना, दुनिया–भर में पेटेंट और ज्ञान संचालित अर्थव्यवस्था और नवाचार और वैज्ञानिक जांच पर चर्चा करी और शोध को समझाते हुए अनुभव से प्राप्त ज्ञान पर आख्यान प्रस्तुत किया। डॉ. भास्करन द्वारा संपत्ति के प्रकारों के बारे में बताया गया जिससे बौद्धिक अमूर्त संपत्ति के महत्व पर प्रकाश डाला गया और इसके पश्चात कॉपीराइट की अवधारणा को समझाया गया। कार्यक्रम में डॉ० राम कुमार साहू, डॉ० विनीत कुमार मौर्य, डॉ० विभीषण रॉय, डॉ० भूपेंद्र कुमार, प्रो० अब्दुल फारुख, डॉ० अजय सेमेल्टी, डॉ० सोमेश थपलियाल, डॉ० एल० मोहंती, डॉ० ऋतु मिश्रा, डॉ० गौरव जोशी, और डॉ० शिखा दूबे उपस्थित रहे।