पर्वतीय क्षेत्रों में फैल रही आग के कारण जहां पर्यावरणविद् को गहरी चिंता में डाल दिया है। वही आग से वन्यजीवों तथा जंगलों में हो रहे नुकसान के कारण उत्तराखंड शासन भी मामले की गंभीरता को देखते हुए हरकत में आ गया है।
रिपोर्ट - विकास शर्मा
हरिद्वार 28 अप्रैल देवभूमि उत्तराखंड के जंगलों में फैल रही आग के कारण जहां पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। वही जंगलों की आग आबादी क्षेत्र में पहुंचने के कारण चिंता का विषय बनी हुई है। पर्वतीय क्षेत्रों में फैल रही आग के कारण जहां पर्यावरणविद् को गहरी चिंता में डाल दिया है। वही आग से वन्यजीवों तथा जंगलों में हो रहे नुकसान के कारण उत्तराखंड शासन भी मामले की गंभीरता को देखते हुए हरकत में आ गया है। उत्तराखंड राज्य के कई जिलों में जंगल आग से धड़क रहे हैं। नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, पौड़ी, धूमकोट, कणप्रयाग, देवप्रयाग के क्षेत्र में जंगलों में आग लगने से जंगलों को काफी नुकसान हुआ है। प्रशासन ने आग प्रभावित क्षेत्र में वन कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। फायर सीजन तक यह आदेश जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग व अन्य विभागों को हाई मोड पर अलर्ट रहने को कहा गया है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आग लगने वाले क्षेत्र का हवाई दौरा किया है। जंगलों में लगी आग बुझाने हेतु वायु सेना की भी मदद ली जा रही है। इसके साथ ही वन विभाग को जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं। वन विभाग द्वारा आगजनी की रोकथाम हेतु कैमरा ट्रैप तथा लाइव कैमरे लगाने आरंभ कर दिए हैं। जिससे आगजनी करने वालों पर कड़ी निगाहें रखी जा सके। उत्तराखंड में वनाग्नि हर साल की समस्या बन चुकी है। जिसकी वजह से प्रदेश में तापमान भी लगातार बढ़ रहा है। उत्तराखंड राज्य में इस साल अब तक 708 हेक्टेयर वन भूमि आग से नष्ट हो चुकी है। जिसको लेकर वन विभाग द्वारा कुछ मामले में दर्ज किए गए हैं और उन पर कार्यवाही भी की गई है। उत्तराखंड में अब तक 584 आगजनी के मामले सामने आए हैं। जिनमें कुमाऊं को 322 मामलों के साथ सबसे अधिक प्रभावित माना जा रहा है। गढ़वाल मंडल में 211 आगजनी के मामले सामने आए हैं। प्रशासनिक फॉरेस्ट क्षेत्र में 51 मामले अब तक आ चुके हैं। राज्य में जंगलों में फैली आग व धुएं से जहां पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है। वही आग की घटनाओं में लगातार हो रहे वृद्धि के कारण पहाड़ों में सैलानियों के लिए स्वर्ग कहलाने वाले उत्तराखंड में भी तापमान के निरंतर वृद्धि होने से पर्यटन क्षेत्र में भी इसका असर होने की संभावना है।