Latest News

रक्तदान एक आलौकिक अनुभवः डा-शाह


एक व्यस्क व्यक्ति के शरीर में औसतन 10 यूनिट रक्त होता है, जिसमें से व्यक्ति एक यूनिट (350मिली) रक्तदान कर सकता है लेकिन जागरूकता की कमी की वजह से व्यक्ति रक्तदान करने से डरता है या हिचकिचाता है।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

हरिद्वार। रक्तदान एक आलौकिक अनुभव है एवं जीवन बचाने के लिए हरपल रक्त की आवश्यकता होती रहती है। एक व्यस्क व्यक्ति के शरीर में औसतन 10 यूनिट रक्त होता है, जिसमें से व्यक्ति एक यूनिट (350मिली) रक्तदान कर सकता है लेकिन जागरूकता की कमी की वजह से व्यक्ति रक्तदान करने से डरता है या हिचकिचाता है। रविवार को स्वामी विवेकानंद हैल्थ मिशन सोसायटी द्वारा संचालित स्वामी रामप्रकाश चैरिटेबल हॉस्पीटल में मां गंगे ब्लड बैंक द्वारा आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का उद्घाटन करते हुये चिकित्सालय के मेडिकल डायरेक्टर डा-संजय शाह ने उक्त विचार रखते हुये कहा कि जनहित में रक्तदान एक सराहनीय प्रयास है। किसी जरूरतमंद का जीवन बचाने से बड़ा कोई और पुण्य का कार्य नहीं हो सकता है, इसलिये रक्तदान महादान है। रक्तदान करने के बाद स्वंय को गर्व महसूस होता है। चिकित्सालय महाप्रबंधक सुश्री निधि धीमान ने कहा कि रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने की अति आवश्यकता है। ब्लड बैंको में सीमित मात्र में ही रक्त होता है। इसलिए हमें रक्तदान शिविर आयोजित कर सामूहिक रूप से रक्तदान करना चाहिये। उन्होंने स्पष्ट कहा कि रक्तदान को लेकर समाज में तरह-तरह की भ्रांतिया फैलाई जाती है जबकि असल बात यह है कि रक्तदान करने के बाद रक्तदाता से खुशी की जो अनुभूति होती है उसे बयां नहीं किया जा सकता। मां गंगे ब्लड बैंक के डायरेक्टर संदीप गोस्वामी ने शिविर में पहुंचे लोगों की प्रशंसा करते हुये कहा कि आज भी देश में बड़ी संख्या में लोग रक्त की कमी के बाद अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ो के अनुसार केवल दो प्रतिशत और अधिक रक्तदाताओं का रक्तदान के लिए आगे आना कई लोगों की जान बचा सकता है। एक व्यस्क व्यक्ति साल में कम से कम चार बार रक्तदान किया जा सकता है। एक नियमित रक्तदाता तीन महीने बाद फिर से अगला रक्तदान कर सकता है। गोर्खाली सुधार सभा शाखा अध्यक्ष शमशेर बहादुर बम ने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में पहुंचे युवाओं का हौसला आफजाई करते हुये कहा कि युवाओं का यह प्रयास सराहनीय व प्रेरणादायक है। इस तरह के शिविर आयोजित कर हम ब्लड की कमी को पूरा कर सकते हैं और जरूरतमंद की सहायता कर उसकी जान बचाने का पुण्य व परोपकारी कार्य कर सकते हैं। समाज में यदि कोई सेवा है तो वह मात्र मानव सेवा है। रक्तदान को सबसे बड़ा दान बताते हुये उन्होंने कहा कि पीड़ित को समय पर रक्त मिलने से उसे एक नया जीवन मिलता है। शिविर में भाग लेने वाले सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।

ADVERTISEMENT

Related Post