महा मृत्युंजय यज्ञ में हैं , मृत्यु को हराने और पुरानी बीमारियों से छुटकारा पाने की शक्ति : दंडी स्वामी अनंतानंद सरस्वती
रिपोर्ट - ऑल न्यूज़ ब्यूरो
हरिद्वार। जगद्गुरु शंकराचार्य दंडी स्वामी स्वामी अनंतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हरिद्वार वह पवित्र भूमि है, जहां भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से उत्पन्न विष को पीने के उपरांत शरीर के ताप को कम करने के लिए गंगा का सहारा लिया। इसीलिए गंगा को नीलधारा भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व करोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में आम जनमानस को बीमारियों से निजात दिलाने के लिए महामृत्युंजय यज्ञ का आयोजन किया गया है। गौरतलब है कि कि महामृत्युंजय मंदिर, नंद विहार, कांगड़ी श्यामपुर हरिद्वार में राजगुरु मठ शिवाला घाट काशी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य दंडी स्वामी अनंतानंद सरस्वती महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे नवदिवसीय महामृत्युंजय यज्ञ महोत्सव का समापन शनिवार 18 मई 2024 को हुआ। इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए स्वामी अनंतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि महा मृत्युंजय यज्ञ में मृत्यु को हराने और पुरानी बीमारियों से छुटकारा पाने की शक्ति है। इस यज्ञ की कथा और मंत्र भगवान शिव से जुड़ा है, जिसका उद्देश्य व्यक्ति को लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना है। महा मृत्युंजय यज्ञ किसी व्यक्ति को पुरानी बीमारियों से राहत दिलाने या असामयिक मृत्यु से बचने के लिए किया जाता है। इस यज्ञ में भगवान शिव की पूजा की जाती है और यह शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी किया जाता है; जीवन के सभी क्षेत्रों में बिना किसी बाधा के विजय प्राप्त करना। भगवान शिव को 'मृत्यु' या 'मृत्युंजय' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है मृत्यु का नाश करने वाला या मृत्यु पर विजय पाने वाला। इस यज्ञ को करने से मृत्यु संबंधी किसी भी दोष जैसे अप्राकृतिक मृत्यु और अकाल मृत्यु, आत्महत्या की प्रवृत्ति, दुर्घटनाएं आदि को ख़त्म किया जा सकता है। इस मौके पर वरिष्ठ समाजसेवी आरके राय, सीए आशुतोष पांडेय, श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीराम कथा के संयोजक सुनील सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी गुड्डू तिवारी, संतोष कुमार, श्याम कुमार मिश्र, सरोज राय, प्रमोद तिवारी, ओमप्रकाश राय सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें।