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34 दिवसीय श्रीराम कथा का 10 वां दिन


स्वामी चिदानन्द सरस्वती प्रेरणा, मार्गदर्शन व संरक्षण में मानस कथाकार संत मुरलीधर महाराज के मुखारविंद से श्री राम कथा की ज्ञान गंगा परमार्थ गंगा तट पर हो रही प्रवाहित|

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

परमार्थ निकेतन में आयोजित ऋषिकेश, 24 मई। परमार्थ निकेतन में आयोजित 34 दिवसीय श्रीराम कथा के 10 वें दिन राजस्थान सहित भारत के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुओं को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सानिध्य व उद्बोधन प्राप्त हुआ। आज की मानस कथा में कथाकार संत मुरलीधर जी ने तीर्थों के महत्व की अद्भुत व्याख्या की। आज नारद जयंती के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नारद जी की भक्ति, प्रभु के प्रति अनन्य प्रेम व उनकी श्रद्धा को नमन करते हुए कहा कि नारद जी एक अद्भुत संदेशवाहक हैं। वे न केवल देवताओं के बल्कि सनातन संस्कृति के संदेशवाहक व पैरोकार भी हैं। देवताओं को सूचना देने वाले भी वही हैं और सूचना रचने वाले भी वही हैं। उन्होंने जो भी किया वह सब उद्धार व कल्याण के लिये किया। नारद जी ने न कभी प्रहार किया और न कभी वार किया बस नारायण-नारायण जपते हुये तीनों लोकांे का केवल मंगल ही किया। नारद जी की दृष्टि सभी ओर रहती थी। कहां पर क्या करना है, क्या बिगड़ रहा है और उसे कैसे व किसके द्वारा ठीक करवाना है यह सब नारद जी ने बड़ी ही सुन्दरता से किया और जो भी किया वह केवल निर्माण के लिये किया, संवर्द्धन के लिये किया, संरक्षण के लिये किया और सभी के आनंद के लिये किया। अद्भुत भक्ति थी नारद जी की उन्होंने अपने जीवन का एक क्षण भी अपने लिए नही जिया सब कुछ अपने आराध्य और इस ब्रह्मांड को समर्पित कर दिया ऐसी दिव्य विभूति को नमन! उनकी साधना, भक्ति और प्रभु प्रेम को वंदन।

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