हर साल लगभग 14% भारतीय इस बीमारी के लिए चिकित्सा कीजरूरत महसूस करते हैं। यह बीमारी कितनी व्यापक है, इसके बावजूद इसके बारे में कई मिथक और तथ्य हैं जो लोगों को इसके लक्षणों से राहत पाना मुश्किल बनाते हैं। 'गठिया' के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून के निदेशक, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गुप्ता ने प्रेस वार्ता में गठिया और घुटने/कूल्हे के प्रतिस्थापन के बारे में विभिन्न तथ्य और मिथक साझा किए।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
हरिद्वार, 27 मई 2024: हर साल लगभग 14% भारतीय इस बीमारी के लिए चिकित्सा कीजरूरत महसूस करते हैं। यह बीमारी कितनी व्यापक है, इसके बावजूद इसके बारे में कई मिथक और तथ्य हैं जो लोगों को इसके लक्षणों से राहत पाना मुश्किल बनाते हैं। 'गठिया' के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून के निदेशक, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गुप्ता ने प्रेस वार्ता में गठिया और घुटने/कूल्हे के प्रतिस्थापन के बारे में विभिन्न तथ्य और मिथक साझा किए। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून में ऑर्थोपेडिक्स के निदेशक डॉ. गौरव गुप्ता ने कहा, “100 से अधिक विभिन्न प्रकार के गठिया होते हैं, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस (ओए) और रुमेटीइड गठिया (आरए) सबसे आम हैं। उन्होंने आगे बताया, “लोगों में यह आम धारणा है कि गठिया केवल बुजुर्गों को प्रभावित करता है पर आज कल यह बीमारी युवा आबादी में भी तेजी से बढ़ती जा रही है। पहले हम 60 से 65 साल की उम्र के मरीजों को गठिया की समस्या से जूझते देखते थे। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में हमने यह समस्या युवा वर्ग में भी देखी है।