परमार्थ निकेतन में हीरोज ऑफ एनवायरनमेंट पद्मश्री बलबीर सिंह सीचेवाल आये। परमार्थ गुरुकुल के ऋषि कुमारों और आचार्यों ने उनका अभिनंदन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और बलबीर सिंह सीचेवाल की दिव्य भेंटवार्ता हुई। दोनों पूज्य संतों ने नदियों, नालों, गदेरों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्ष किया।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
ऋषिकेश, 27 मई। परमार्थ निकेतन में हीरोज ऑफ एनवायरनमेंट पद्मश्री श्री बलबीर सिंह सीचेवाल जी आये। परमार्थ गुरुकुल के ऋषि कुमारों और आचार्यों ने उनका अभिनंदन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और श्री बलबीर सिंह सीचेवाल जी की दिव्य भेंटवार्ता हुई। दोनों पूज्य संतों ने नदियों, नालों, गदेरों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्ष किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पद्मश्री श्री बलबीर सिंह सीचेवाल जी वास्तव में पर्यावरण के नायक है, उन्होंने अकेले ही अपने दम पर काली बेई नदी को साफ करने का एक ऐसा आंदोलन छेड़ा जिसने उस पूरी नदी की काया ही बदल दी। अत्यधिक प्रदूषित कही जाने वाली काली बेई नदी को स्वच्छ व स्वस्थ कर दिया जो आज भी पंजाब में कलकल करती प्रवाहित हो रही हैं। स्वामी जी ने कहा कि नदियाँ महज नदियाँ नहीं हैं बल्कि ये देश की संस्कृति का प्रतीक एवं पर्याय हैं। एक बड़ी आबादी के लिये नदियां जीवनदायिनी और जीविकादायिनी हैं और यह हमारी आस्था का भी केन्द्र है इसलिये नदियों के अविरल प्रवाह के साथ उनके पारिस्थितिकी तंत्र को सहेजना जरूरी है। इस समय हमारी नदियां, नाले और गाद-गदेरे हमसे अपने जीवन की भिक्षा मांग रहे हैं उनके लिये हम सभी को आगे आना होगा और सभी को मिलकर कार्य करना होगा। स्वामी जी ने कहा कि नदियां धरती की रूधिर वाहिका में हैं। धरती के सौन्दर्य की कल्पना नदियों के बिना नहीं की जा सकती इसलिये हमें जल की हर बूंद के महत्व को जानना और स्वीकार करना जरूरी है क्योंकि जल की हर बूंद में जीवन है अतः उनका उपयोग भी उसी प्रकार करना होगा। जल को बनाया तो नहीं जा सकता परन्तु संरक्षित जरूर किया जा सकता है। जल का मुद्दा किसी संगठन, राज्य और राष्ट्र का नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता का है। स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में नदियों में पानी की लगातार कमी होती जा रही है। कई सदानीरा नदियां मानसून तक ही सिमट कर रह गयी हैं। जागरूकता के अभाव और स्वार्थपूर्ण हितों के कारण जल स्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण हो रहा है कि कोई एक एजेंसी इसे रोक नहीं सकती इसलिये जनता को ही सबसे पहले आगे आना होगा और जल क्रान्ति को जन क्रान्ति; जल आन्दोलन को जन आन्दोलन और जल चेतना को जन चेतना बनाना होगा ।