Latest News

पर्यावरण संरक्षण व माँ गंगा को समर्पित 34 दिवसीय श्री राम कथा में स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बरगद व पीपल के पौधों के रोपण हेतु किया प्रेरित


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज वट सावित्री पर्व के अवसर पर देशवासियों, माताओं व बहनों को मंगलकामनायें देते हुये कहा कि वटवृक्ष रातदिन 20 से 22 घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित कर हमें प्राणवायु प्रदान करता है। आज वट का पूजन करने के साथ भावी पीढी को शुद्ध ऑक्सीजन व आयोग्यता प्राप्त हो इसलिये कम से कम एक वट के पौधे का रोपण कर अपनी सनातन व पौराणिक संस्कृति के मर्म को आत्मसात करे।

रिपोर्ट  - Rameshwar Gaur

ऋषिकेश, 6 जून। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज वट सावित्री पर्व के अवसर पर देशवासियों, माताओं व बहनों को मंगलकामनायें देते हुये कहा कि वटवृक्ष रातदिन 20 से 22 घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित कर हमें प्राणवायु प्रदान करता है। आज वट का पूजन करने के साथ भावी पीढी को शुद्ध ऑक्सीजन व आयोग्यता प्राप्त हो इसलिये कम से कम एक वट के पौधे का रोपण कर अपनी सनातन व पौराणिक संस्कृति के मर्म को आत्मसात करे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कथा से हमें शुद्धि प्राप्त होती है; कथाओं से जीवन के सूत्र प्राप्त होते हैं। कथा गाने से कथा ही नहीं बल्कि जीवन भी सफल हो जाता है। जीवन में कई बार महाभारत जैसी स्थिति आती हैं ऐेसे में हमें श्री कृष्ण व श्री राम का हाथ थाम लेना चाहिये क्योंकि धन्य है महापुरूषों का संग जो बदल देता जीवन का रंग। स्वामी ने कहा कि जीवन में तीन प्रकार की शुद्धि नितांत आवश्यक है। चिŸा शुद्धि, विŸा शुद्धि और हित शुद्धि। जीवन में चिŸा शुद्धि होती है तो फिर मन इधर-उधर नहीं भटकता। जब चिŸा शुद्धि होती है तो जीवन जागृत हो जाता है। हमारा चिŸा एक स्टोररूम की तरह है जहां पर सब संचित होता है इसलिये चिंतन व मनन सोच-समझ कर करें और सदैव शुद्धि को ही चुने। स्वामी जी ने कहा कि वट सावित्री का दिन हमें यह भी संदेश देता है कि जड़ें जितनी अन्दर, गहराई में होगी उपर का विस्तर उतना ही अधिक होगा और वटवृक्ष इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। जीवन भी संस्कार व संस्कृति की गहराई में जितना मग्न होगा उतना ही व्यक्तित्व का विस्तार होगा। हमारी संस्कृति व संस्कार ही हमारी जीवन को निखारते व संवारते हैं। स्वामी जी ने कहा कि मानवीय संस्कारों की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब जीवन समाज के काम में आये। प्रत्येक परिस्थिति में साथ-साथ चलने का नाम ही भारत है। कथा व्यास संत मुरलीधर जी ने आज की मानस कथा में श्री राम व भरत के प्रेम की अद्भुत व्याख्या की। उन्होंने ज्ञान मार्ग, योग मार्ग, कर्म मार्ग और भक्ति मार्ग की बड़ी ही सारगर्भित व्याख्या की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मानस कथा में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को संकल्प कराया कि अपने जीवन काल में कम से कम एक वट के पौधे का रोपण अवश्य करंे क्योंकि वट का वृक्ष आपकी कई पीढ़ियों को ऑक्सीजन प्रदान करने की शक्ति रखता है।

ADVERTISEMENT

Related Post