पर्यावरण को समर्पित हरेला पर्व के अवसर पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, मैती आंदोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु, मुख्य विकास अधिकारी डाॅ. जीएस खाती सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारियों ने रुद्रप्रयाग बाईपास के जवाड़ी पार्क एवं वन विभाग के दफ्तर के समीप में पौधों का रोपण किया|
रिपोर्ट - भानु भट्ट
रुद्रप्रयाग, 16 जुलाई, 2024 पर्यावरण को समर्पित हरेला पर्व के अवसर पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, मैती आंदोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु, मुख्य विकास अधिकारी डाॅ. जीएस खाती सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारियों ने रुद्रप्रयाग बाईपास के जवाड़ी पार्क एवं वन विभाग के दफ्तर के समीप में पौधों का रोपण किया और जनपद वासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं व बधाई दी। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए मैती आंदोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने भी सभी को हरेला पर्व की बधाई दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दिन प्रतिदिन भू-जल स्तर कम होता जा रहा है वह एक चिंता का विषय है इसलिए हमें पानी, पर्यावरण को बचाना होगा जिसके लिए अधिक से अधिक पौधे रोपित करने की आवश्यकता है जिससे आने वाली पीढ़ी को पानी व आक्सीजन की कमी से जूझना न पड़े। जिलाधिकारी ने कहा कि सभी को समर्पित भाव से प्रकृति संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ना होगा और आने वाली पीढ़ी को शुद्ध पर्यावरण मिले, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण में सभी की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो। इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम में शामिल हुए स्कूली छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए पौधारोपण एवं पेड़ों के संरक्षण की महत्ता पर सवाल-जवाब भी किए। प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले छात्रों को जिलाधिकारी ने पौधा भेंट कर सम्मानित किया। मुख्य विकास अधिकारी डॉ. जीएस खाती ने पौधारोपण कार्यक्रम में कहा कि हमें प्रकृति को संजो कर रखना चाहिए क्योंकि प्रकृति से ही हमारा जीवन सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि हमें दृढ़ संकल्प लेना होगा कि जो पौधे लगाए हैं, उनकी देख-रेख एवं संरक्षण करना हमारा दायित्व है। प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि हरेला पर्व पर प्रतिवर्ष वन विभाग द्वारा हरेला महोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान वृहद स्तर पर पौधारोपण किया जाता है। साथ ही विभिन्न विभागों, सामाजिक संगठनों व अन्य माध्यमों से भी अधिक से अधिक पौधे वितरित किए जाते हैं ताकि मानसून अवधि में पौधे रोपित कर पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके।