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नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस नेल्सन मंडेला के विचार रूपी विरासत को नमन!


दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति स्व. नेल्सन मंडेला जी के जन्मदिवस के पावन अवसर पर भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि नेल्सन मंडेला साहस, करुणा और स्वतंत्रता, शांति एवं सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के वैश्विक प्रतीक थे।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शांति के लिये नोबेल पुरस्कार विजेता और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति स्व. नेल्सन मंडेला जी के जन्मदिवस के पावन अवसर पर भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि नेल्सन मंडेला साहस, करुणा और स्वतंत्रता, शांति एवं सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता के वैश्विक प्रतीक थे। शांति की स्थापना, रंगभेद उन्मूलन, मानवाधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता की स्थापना के लिये नेल्सन मंडेला जी ने निरंतर प्रयास किये। दक्षिण अफ्रीका के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति स्वर्गीय नेल्सन मंडेला जी के विचारों की विरासत को नमन! करते हुये आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती उन्हें समर्पित की। स्वामी चिदानन्द सरस्वजी जी ने कहा कि महापुरूषों के विचार एक स्थायी विरासत हैं जिससे आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन प्राप्त होता हैं। नेल्सन मंडेला जी के विचार ही उनकी स्थायी विरासत है जिसने पूरी दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके कार्यों से सम्पूर्ण मानवता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। स्वामी जी ने कहा कि महात्मा गांधी जी और नेल्सन मंडेला जी दोनों महापुरूषों का जीवन एक नदी की तरह था जिसमें अनगिनत धाराएं होती है शायद ही ऐसी कोई धारा हो; ऐसी समस्या हो जिनपर इन दोनों महापुरूषों का ध्यान ना गया हो और जिनके लिए उन्होंने कोई समाधान प्रस्तुत ना किया हो। अफ्रीकी गांधी के रूप में पहचाने जाने वाले और रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को अपनी धरती से खत्म करने वाले नेल्सन मंडेला का पूरा जीवन बड़े संघर्ष से बीता परन्तु उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वे युवाओं के हमेशा प्रेरणास्रोत रहेंगे और उनके विचारों से दिशा मिलती रहेगी।

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