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तो लाशों को संभालना मुश्किल होता..


बात यह नहीं है कि हर की पैड़ी की बाउंड्री वॉल आकाशीय बिजली से गिरी या बिजली की भूमिगत केबिल दीवार की नींव के साथ साथ डालने तथा पानी की पाइप लाइन के महीने भर से लीकेज के पानी से दीवार के कमजोर होने से गिरी है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

बात यह नहीं है कि हर की पैड़ी की बाउंड्री वॉल आकाशीय बिजली से गिरी या बिजली की भूमिगत केबिल दीवार की नींव के साथ साथ डालने तथा पानी की पाइप लाइन के महीने भर से लीकेज के पानी से दीवार के कमजोर होने से गिरी है। यह जांच का विषय है और जांच की लीपापोती भी हो जाएगी और दोषी प्रकृति को ठहरा दिया जाएगा जिसने बिजली गिराई या टकराई है। असली वजह यही है कि उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन तथा गैल गैस इंडिया लिमिटेड द्वारा अपनी लाइनों को बिना ड्राइंग के जुगाड़ विद्या से जमीन में ठुंसा जा रहा है। जिसको कोई देखने को तैयार नहीं है और शहर की नींव के अंदर बम रखा जा रहा है। कई बार लिखा भी गया। जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा। मेलाधिकारी कुंभ की जानकारी में भी लाया गया। व्यापार मंडल के पदाधिकारियों को भी बताया गया। लेकिन किसी को परवाह नहीं है। अब जरा कल्पना कीजिए सोमवार को कोरोना वायरस के कारण सोमवती अमावस्या स्नान पर्व को प्रतिबंधित नहीं किया गया होता और स्नान के लिए लाखों श्रद्धालुओं को हर की पैड़ी आने दिया गया होता तो रात में प्लेटफार्म पर सोते हुए कितने श्रृद्धालु बाउंड्री वॉल ढहने से सोते ही रह जाते। प्रशासन को लाशों को संभालना और उठाना मुश्किल हो जाता। भीमगोडा से हर की पैड़ी होते हुए पूरे अपर रोड को भूमिगत लाइनों ने खोखला कर दिया है। लीकेज को ठीक किए बिना बंद कर दिया गया है। पानी अंदर ही अंदर नींव को खोखला कर रहा है। क्षेत्र में अधिकतर भवन पुराने राखी चूने वाले हैं। इन भवनों को पहले ही दुकानदारों ने खोद खोदकर बेसमेंट बना कर भवन कमजोर कर दिए हैं। खुदाई से नींव में पानी का रिसाव होने से उनके धंसने का डर बना हुआ है। इस क्षेत्र का कोई मास्टर प्लान ही नहीं है।सच पूछो तो इस क्षेत्र में गैस, सीएनजी व बिजली की लाइनों को भूमिगत करने ही नहीं देना चाहिए।

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