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चोटिल व घायल मानवता की नींव पर विश्व शान्ति सम्भव नहीं - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत के पड़ोसी देश में हो रही मानवता की हत्या चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया है।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 11 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत के पड़ोसी देश में हो रही मानवता की हत्या चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर हुये विवाद व विरोध प्रदर्शन ने हिंसक घटनाओं का रूप ले लिया जो कि देखते ही देखते धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव में बदल गया। वहां पर रहने वाले हिन्दू भाई-बहनों, हिंदू मंदिरों और पूजा पंडालों पर हमले ने भारत की आत्मा को भी हिला दिया। वहां रहने वाले हिन्दू भाई-बहनों के साथ जो हुआ वह बहुत ही दर्दनाक है। समस्या कोई भी हो या कितनी भी बड़ी हो सभी का समाधान संविधान में निहित है और सभी समस्याओं का हल संवाद के माध्यम से निकाला जा सकता है। निश्चित रूप से वहां रहने वाले सभी हिन्दू भाई-बहनों को अपनी एकता की शक्ति को दिखाना होगा, अपने व अपनों के लिये खड़ा होना होगा। संगठन की शक्ति बहुत कुछ कर सकती है। स्वामी जी ने कहा कि शांति और सद्भावना हिन्दू धर्म के मूल में है जिसका पालन प्रत्येक हिन्दू करता है और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान खोजता है। बांग्लादेश में जो आन्दोलनकारी व प्रदर्शनकारी थे वे आरक्षण के विषय से हिंसा पर उतर आये बल्कि इस समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सकता है। अब भी समय है अपनी गलती को दोहराने के बजाय हिंसा से प्रभावित लोगों को भोजन, चिकित्सा सहायता और आश्रय प्रदान कर अपने राष्ट्र की सेवा करने हेतु बांग्लादेश के निवासियों को आगे आना होगा। जब तक आंतरिक हिंसा नहीं रूकेगी बाहरी शक्तियां भी प्रभावी नहीं हो सकती। वर्तमान समय में जो हिंसा फैली है उसके परिणाम केवल उन हिंसा प्रभावित लोगों को ही प्रभावित नहीं कर रहे बल्कि इस हिंसा के दुष्प्रभावों की भरपायी नहीं की जा सकती और इसके परिणाम भी राष्ट्रव्यापी होंगे। अब भी समय है कि सभी मिलकर आपसी एकता और भाईचारे को बढ़ावा दें, आपसी समझ को बढ़ायें और एक-दूसरे के करीब आयें ताकि देश में शांति और स्थिरता स्थापित हो सके। हमारी भूमिका समाज में शांति, सद्भावना और एकता को बढ़ावा देने की होनी चाहिये। लोगों को हिंसा से दूर रहने और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान खोजने के लिए प्रेरित करना जरूरी है।

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