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श्रावण मास के चौथे सोमवार को तीर्थ नगरी के शिव मंदिरों में भक्तों ने आस्था के साथ किया शिवलिंग पर जलाभिषेक।


तीर्थ नगरी हरिद्वार में श्रावण मास के चौथे सोमवार में भगवान शिव के मंदिर मैं जाकर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया आज प्रातः से ही हरिद्वार के प्रसिद्ध दक्षेश्वर महादेव मंदिर, बिलेश्वर महादेव मंदिर तथा नीलेश्वर महादेव मंदिर ,दरिद्र भंजन आदि शिव मंदिरों में प्रातः से ही भक्तों ने भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा आराधना कर अपने परिजनों की मंगल कामना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया।

रिपोर्ट  - विकास शर्मा

हरिद्वार 12 अगस्त तीर्थ नगरी हरिद्वार में श्रावण मास के चौथे सोमवार में भगवान शिव के मंदिर मैं जाकर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया आज प्रातः से ही हरिद्वार के प्रसिद्ध दक्षेश्वर महादेव मंदिर, बिलेश्वर महादेव मंदिर तथा नीलेश्वर महादेव मंदिर ,दरिद्र भंजन आदि शिव मंदिरों में प्रातः से ही भक्तों ने भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा आराधना कर अपने परिजनों की मंगल कामना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। समूचे देश में भगवान भोलेनाथ के भक्तों द्वारा आज शिव मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है।सावन के चौथे सोमवार के दिन हरिद्वार हर की पैड़ी पर तीर्थ यात्रियों ने बड़ी संख्या में गंगा में स्नान किया और कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक किया और शिव का जलाभिषेक किया. सुबह से ही लोग लंबी कतारों में लगे हुए थे और शिव का अभिषेक कर रहे थे. सावन के 1 महीने भगवान शंकर जी कनखल में अपने ससुराल में रहते हैं. श्रद्धालु दूर-दूर से आकर भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करते हैं. एक महीने भगवान शिव कनखल में रहकर अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर सृष्टि के निर्माण के साथ ही सतयुग में स्थापित हुआ है. अपने सास और ससुर को दिए गए वचन के अनुसार भगवान शिव एक महीने कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में वास करते हैं. कनखल तीर्थ वह स्थान है, जहां सृष्टि के निर्माण के साथ पहली बार शिव और सती का विवाह हुआ। यह सृष्टि का पहला विवाह स्थल है. यह सृष्टि का पहला स्वयंभू शिवलिंग है। कनखल भगवान शिव की कर्मस्थली, साधना स्थली है और सती की जन्मस्थली, साधना स्थली एवं कर्म स्थली है।

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