पतंजलि विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय में भारतीय पुस्तकालय जगत् के पितामह पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन के 132वें जन्मदिवस पर ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस’मनाया गया।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
हरिद्वार, 13 अगस्त। पतंजलि विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय में भारतीय पुस्तकालय जगत् के पितामह पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन के 132वें जन्मदिवस पर ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस’मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने डॉ. रंगनाथन को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि दुनिया में जितने भी सफल बुद्धिजीवी हैं उनकी सफलता के पीछे पुस्तकों का विशेष योगदान है। पुस्तकालय के माध्यम से युवाओं को जीवन की सही दिशा व सकारात्मक दृष्टि मिलती है जिससे बेहतर युवा तैयार होते हैं व राष्ट्र निर्माण में उनकी बड़ी उपयोगिता रहती है। इस अवसर पर प्रति-कुलपति डॉ. मंयक अग्रवाल जी ने भारत के प्राचीन इतिहास व संस्कृति को जानने में पुस्तकों के विशेष योगदान को वर्णित किया तथा जीवन में सभी छात्र-छात्राओं एवं समस्त जनों को पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान का सबसे बड़ा मार्ग पुस्तकें ही है। डॉ. रंगनाथन जी को एक ऋषि के रुप में वर्णित किया। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव जी ने स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन को जानने के लिए पुस्तकों के विशेष महत्व को बताया। कार्यक्रम में समस्त संकायाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं पुस्तकालय स्टॉफ संदीप पाण्डेय, संगीता भार्मा, ऋषिकांत, अभिषेक तथा विश्वविद्यालय के समस्त छात्र-छात्राएं व पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय व पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन व पतंजलि गुरुकुलम् के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री प्रशान्त वशिष्ट, श्रीमति दीप्ति शर्मा, श्रीमती तान्या किमोठी, अरविन्द देव जी तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के समस्त प्राचार्यगण उपस्थित रहे।