सनातन धर्म की पताका को विश्व में फहराने वाले श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी मायापुर, हरिद्वार के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन महाराज ने बताया कि स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय में भेद के चलते श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाता है।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
हरिद्वार। सनातन धर्म की पताका को विश्व में फहराने वाले श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी मायापुर, हरिद्वार के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन महाराज ने बताया कि स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय में भेद के चलते श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाता है। इस वर्ष भी श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी का पर्व सोमवार, 26 अगस्त को मनाने की बात कही जा रही है, जबकि वृंदावन में मंगलवार, 27 अगस्त को भगवान का जन्मोत्सव मनाया जायेगा। शिव उपासना धर्मार्थ ट्रस्ट हरिद्वार उत्तराखंड भारत एवं शिवोपासना संस्थान डरबन साउथ अफ्रीका के संस्थापक स्वामी रामभजन वन महाराज ने जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भ्रम का का निवारण करते हुए कहा कि वह पंचांग के अनुसार, सोमवार, 26 अगस्त को सुबह 5 बजकर 55 मिनट से 7 बजकर 36 मिनट तक अमृत चौघड़िया रहने वाला है। ये योग पूजा के लिए शुभ है। इसके बाद अमृत चौघड़िया पूजन का मुहूर्त 3 बजकर 36 मिनट 6 बजकर 48 मिनट तक है।निशीथ काल में भी आप पूजा कर सकते हैं, जो रात में 12 बजकर 1 मिनट से 11 बजकर 44 मिनट तक है। स्वामी रामभजन वन महाराज बताते हैं कि हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का बेहद महत्व है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात के समय श्री कृष्ण ने कंस का अंत करने के लिए धरती पर जन्म लिया था। तभी से इस खास तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है । हालांकि, इस बार भी जन्माष्टमी की तिथि को लेकर अधिकतर लोग कंफ्यूज हैं। उन्होंने कहा कि इस बार जन्माष्टमी की दो अलग-अलग तिथि पड़ रही हैं। बता दें कि इस साल ब्रजमंडल में जन्माष्टमी का पर्व दो अलग-अलग दिन मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी का पर्व सोमवार, 26 अगस्त को मनाने की बात कही जा रही है, जबकि वृंदावन में मंगलवार, 27 अगस्त को भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।