परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की अनेकानेक मंगलकामनायें देते हुये कहा कि भगवान श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण जी का जन्म धरती पर अधर्म और अत्याचार के नाश के लिए हुआ था।
रिपोर्ट - आल न्यूज़ भारत
ऋषिकेश, 26 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की अनेकानेक मंगलकामनायें देते हुये कहा कि भगवान श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्णजी का जन्म धरती पर अधर्म और अत्याचार के नाश के लिए हुआ था। उन्होंने अपनी लीलाओं से हमें धर्म, सत्य, और प्रेम का मार्ग दिखाया। गीता के माध्यम से श्रीकृष्ण जी ने कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग के द्वारा मुक्ति का संदेश दिया। भगवान श्रीकृष्ण जी का प्रकृति के साथ अद्भुत प्रेम है, वे वृंदावन में गायों के साथ खेलते थे और यमुना जी के तट पर अपनी लीलाएं करते थे ताकि प्रकृति व नदियों के महत्व को सभी जान सके। वृंदावन की हरियाली, यमुना जी की पवित्रता, और गोवर्धन पर्वत की महिमा के माध्यम से उन्होंने प्रकृति की पूजा, संरक्षण और सम्मान का संदेश दिया। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर भगवान इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा की और बताया कि प्रकृति हैं तो संस्कृति है; प्रकृति है जीवन है। श्री कृष्ण जी ने अपने गरीब मित्र सुदामा को गले लगाया, उन्हें सम्मान दिया और ऊँच-नीच, बड़े-छोटे के सब भेदभाव को मिटाते हुये हमें बताया कि सभी समान और सभी का सम्मान आज पूरे विश्व को इसी की जरूरत है। भगवान श्री कृष्ण ने कंस जैसे अत्याचारी राजा का नाश कर धर्म की स्थापना की और हमें अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होने का संदेश दिया। भगवान श्रीकृष्ण जी ने नारी शक्ति का सम्मान, सुरक्षा, उनके प्रति आदर और प्रेम का संदेश दिया। रासलीला के माध्यम से प्रेम और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। महाभारत में जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब श्रीकृष्ण जी ने स्वयं वस्त्रावतार धारण किया और संदेश दिया की नारी की सुरक्षा सर्वोपरि है।