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सनातन है तो मानवता है - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सनातन प्रोफेशनल कानक्लेव, हरियाणा में सहभाग कर सनातन धर्म और शिक्षा का महत्व विषय पर प्रेरणादायक उद्बोधन दिया।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 7 सितम्बर। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सनातन प्रोफेशनल कानक्लेव के माध्यम से कहा कि सनातन धर्म के सिद्धांत न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि पेशेवर जीवन के लिये भी महत्वपूर्ण हैं। इससे समाज में नैतिकता और आध्यात्मिकता में वृद्धि की जा सकती है। आध्यात्मिकता को पेशेवर जीवन में ध्यान और योग के माध्यम से शामिल कर जीवन में मानसिक शांति और संतुलन को बनाये रखा जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि सनातन धर्म और शिक्षा दोनों ही भारतीय संस्कृति के मूल स्तंभ हैं। सनातन धर्म अर्थात “शाश्वत धर्म” जिसमें हमारे आदर्श, मूल्य, मूल, सिद्धांत और परम्परायें समाहित है, इसके बिना आध्यात्मिक विकास सम्भव नहीं है। सनातन धर्म, आत्मज्ञान और आत्म-परिपूर्णता की प्राप्ति के मार्गों को प्रशस्त करता है। सनातन धर्म समाज में सद्भावना और सहयोग की वृद्धि करता है। सभी के प्रति सहानुभूति, अहिंसा, सत्य और समर्पण का भाव जागृत करता है जो हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समझने और उसका सम्मान करने की प्रेरणा देता है और शिक्षा, समाज में ज्ञान और विवेक का प्रसार करती है। यह नैतिक, भौतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक मूल्यों को आत्मसात करने का संदेश देती है। शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह आत्मनिर्भरता, अनुशासन, सत्यता, कर्तव्यों और अधिकारों जैसे गुणों को विकसित करती है। साथ ही शिक्षा समाज के उत्थान और उन्नति के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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