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हिन्दी से जुड़ना अर्थात अपनी जड़ों से जुड़ना - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


हिन्दी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिन्दी न केवल भारत की राजभाषा है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहर का भी अभिन्न अंग है। हिन्दी भाषा का महत्व केवल सरकारी कामकाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे दिलों को भी जोड़ती है।

रिपोर्ट  - आल न्यूज़ भारत

ऋषिकेश, 14 सितंबर। आज हिन्दी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिन्दी न केवल भारत की राजभाषा है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहर का भी अभिन्न अंग है। हिन्दी भाषा का महत्व केवल सरकारी कामकाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे दिलों को भी जोड़ती है। हिन्दी भाषा में वह मिठास और अपनापन है जो दिलों को छू लेता है। यह भाषा हमारे विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज के समय में हिन्दी भाषा का प्रयोग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी हो रहा है। नेपाल, मॉरीशस, फिजी, और कई अन्य देशों में हिन्दी बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। परमार्थ निकेतन में विश्व के कई देशों से पर्यटक व श्रद्धालु आते हैं, जो योग, ध्यान, भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने के साथ ही हिन्दी बोलने का भी अभ्यास करते हैं। पूरे विश्व में लोगों की रूचि हिन्दी, हिन्दू व हिन्दुस्तान में बढ़ रही है। हिन्दी भाषा का भविष्य उज्ज्वल है। हमें इसे संरक्षित करने और आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे। परिवारों, स्कूलों और समाज में हिन्दी के सही प्रयोग को बढ़ावा देना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस भाषा की महत्ता को समझ सकें। आज का दिन हमें याद दिलाता है कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी पहचान है। यह दिलों को जोड़ने वाली भाषा है जो हमें एकता और अखंडता का संदेश देती है।

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