अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति दिवस और वर्ल्ड अल्झाइमर डे के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सभी प्रकारों के विवादों का अंत ही तो शान्ति की स्थापना हैं।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति दिवस और वर्ल्ड अल्झाइमर डे के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सभी प्रकारों के विवादों का अंत ही तो शान्ति की स्थापना हैं। दुनिया में हो रहे युद्धों का थमना जरूरी है परन्तु केवल युद्धों के रूकने से शान्ति नहीं आ सकती बल्कि सभी को स्वच्छ जल, शुद्ध वायु, पौष्टिक आहार, शिक्षा, चिकित्सा तक पहुंच के साथ न्याय, समानता और मानवाधिकारों की रक्षा भी जरूरी है क्योंकि इनके अभाव में युद्ध के परिणामों से भी भयंकर परिणाम हो सकते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि शान्ति की स्थापना के लिये एक सकारात्मक विचार की जरूरत है क्योंकि उस एक विचार से ही संसार का निर्माण होता है; विचार ही हर परिस्थिति की उत्पत्ति का मूल है। दुनिया सिर्फ़ एक विचार है। जिस तरह एक बीज अपने उचित समय और स्थान पर अंकुरित होना शुरू होता है, उसी तरह द्रष्टा (ज्ञाता) भी मन के संकल्प के माध्यम से दृश्य के रूप में प्रकट होता है (दृश्यमान द्रष्टा के अलावा कोई और नहीं है)। जब मन सोचना बंद कर देता है, तो दुनिया गायब हो जाती है और अवर्णनीय आनंद होता है। जब मन सोचना शुरू करता है, तो दुनिया फिर से प्रकट होती है इसलिये सबसे पहले हमें बढ़ रहे वैचारिक प्रदूषण को रोकना होगा। स्वामी जी ने कहा कि ’मैं’ सभी विचारों का मूल है। अगर मैं का अस्तित्व समाप्त हो जाये तो अहम का पूर्ण रूप से विनाश हो जायेगा और फिर जो बचेगा वह सिर्फ और सिर्फ शान्ति होगी क्योंकि आन्तिरिक शान्ति से ही वैश्विक शान्ति की स्थापना सभंव है। स्वामी जी ने कहा कि शान्ति के अभाव में लाखों-करोड़ों ज़िन्दगियों को जोखिम उठाना पड़ता है परन्तु कुछ हजार लोग मिलकर शान्ति की आवाज को बुलन्द कर उन जिन्दगियों को बचा सकते हैं।