वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का जीवन सदैव दो पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से ही संचालित होता है। à¤à¤• ओर जहां वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के सकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ पकà¥à¤· का बोध कराता है, वही दूसरा पकà¥à¤· नकारातà¥à¤®à¤• पहलॠदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सचेत à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² बनाता है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ चेतना के संयोग से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन की पà¥à¤°à¤—ति संचालित होती है।
रिपोर्ट - ALL NEWS BHARAT
वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का जीवन सदैव दो पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से ही संचालित होता है। à¤à¤• ओर जहां वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के सकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ पकà¥à¤· का बोध कराता है, वही दूसरा पकà¥à¤· नकारातà¥à¤®à¤• पहलॠदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सचेत à¤à¤µà¤‚ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² बनाता है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ चेतना के संयोग से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन की पà¥à¤°à¤—ति संचालित होती है। उदाहरण के तौर पर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपनी पà¥à¤°à¤—ति से जà¥à¤¡à¥‡à¤‚ कारà¥à¤¯à¥‹ की बडी बडी योजनाà¤à¤‚ बनाता है। लेकिन उन योजनाओं में सफल होने के लिठजब तक चिनà¥à¤¤à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नही होगी, पà¥à¤°à¤—ति संà¤à¤µ नही है। मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ बताते है कि मन जब कà¥à¤› चाहे और वह चाहत पूरी ने हो अथवा जो हमारे पास उपलबà¥à¤§ है, उसके à¤à¥€ खो जाने का à¤à¤¯ हो या काम मे देरी हो तो हमारा मन परेशान होने लगता है। मन के इस à¤à¤¾à¤µ को चिनà¥à¤¤à¤¾ कहते है। मन मे उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ इस à¤à¤¾à¤µ से बà¥à¤¦à¥à¤µà¤¿ अशानà¥à¤¤ तथा चितà¥à¤¤ सामानà¥à¤¯ से à¤à¥€ नीचे की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ मे आ जाता है। इस अवसà¥à¤¥à¤¾ मे ऊरà¥à¤œà¤¾ का संचालन अधोगति मे बहने लगता है। परनà¥à¤¤à¥ जब मन मे किसी बात को लेकर उठने वाले विचारों के मनन से à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾, शानà¥à¤¤à¤¿, उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और पà¥à¤°à¥‡à¤® का à¤à¤¾à¤µ पैदा होने लगे तो उसे चिनà¥à¤¤à¤‚न कहते है। इसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से मन व बà¥à¤¦à¥à¤µà¤¿ सूकà¥à¤·à¥à¤® होने लगती है और चितà¥à¤¤ अपनी सामानà¥à¤¯ अवसà¥à¤¥à¤¾ से ऊपर उधà¥à¤°à¥à¤µà¤—ति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। गà¥à¤°à¥‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिये गये जà¥à¤žà¤¾à¤¨ तथा वचन व शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के गूढ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को खोलने के लिठजब हम मनन करते है जब चिंतन होता है। मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• डाॅ0 शिवकà¥à¤®à¤¾à¤° का कहना है कि चिनà¥à¤¤à¤¾ तथा तनाव दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का होता है। पाॅजिटिव à¤à¤µà¤‚ नेगिटिव। पाॅजिटिव चिनà¥à¤¤à¤¾ मे हम हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की बात मे अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ खोजते है जिससे विचारों मे खà¥à¤²à¤¾à¤ªà¤¨ आने से जीवन मे सà¥à¤•à¥à¤¨ तथा आराम मिलता है। इससे वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° मे कà¥à¤°à¤¿à¤à¤Ÿà¤¿à¤µà¤¿à¤Ÿà¥€ बढती है और आगे बढने के नà¤-नठरासà¥à¤¤à¥‡ खà¥à¤²à¤¤à¥‡ है। जबकि निगेटिव तनाव मे हम हर बात मे बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ खोजते रहते है, चाहे वह हमारे à¤à¤²à¥‡ के लिठही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो। इसे नकारातà¥à¤®à¤• तनाव या चिंता कहते है। जिनका मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण हमारी इचà¥à¤›à¤¾à¤à¤‚ होती है। जीवन मे इचà¥à¤›à¤¾à¤à¤‚ जितना अधिक होगी, चिनà¥à¤¤à¤¾à¤à¤‚ उतना ही अधिक होगी। आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ में जब पà¥à¤°à¤à¥ का सिमरन किया जाता है तब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपने सà¥à¤µà¤°à¥‚प का बोध होता है। इसलिठसà¥à¤à¤¾à¤µ रूप में कहना है कि जीवन मे चिनà¥à¤¤à¤¾à¤“ं को कम करने के लिठअपनी बढती इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं को कम करना होगा और चिनà¥à¤¤à¤¨ को बढाना होगा। चिनà¥à¤¤à¤¨ जितना अधिक बढेगा चिनà¥à¤¤à¤¾ उतना ही कम होती जायेगी। अतः जीवन मे सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठचिनà¥à¤¤à¤¨ को अपनाना होगा, कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ चिनà¥à¤¤à¤¨ जीना सीखाता है जबकि चिनà¥à¤¤à¤¾ पल-पल मारती है। लेकिन वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• पकà¥à¤· मे जीवन मे दोनो का होना जरूरी है।