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हरिद्वार नगरी में शारदीय नवरात्रि अवसर पर भक्तों ने माता के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना कर लिया आशीर्वाद।


हरिद्वार 5 अक्टूबर (विकास शर्मा) आस्था की नगरी हरिद्वार में शारदीय नवरात्रों में माता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ लगी हुई है। माता के पौराणिक मंदिरों को दुल्हनों की तरह सजाया हुआ है। भक्तों द्वारा नवरात्रों में नौ दिनों तक आस्था और भक्ति के साथ पूजा अर्चना कर अपने परिवार की खुशहाली हेतु आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

रिपोर्ट  - Rameshwar Gaur

तीर्थ नगरी हरिद्वार में पौराणिक माता के सिद्ध पीठ मां मनसा देवी, मां चंडी देवी, मां माया देवी के मंदिरों में दर्शन व पूजा अर्चना हेतु भक्तों की भारी भीड़ है। मां मनसा देवी मंदिर के ट्रस्टी अनिल शर्मा के अनुसार नवरात्रे अवसर पर 9 दिनों तक विश्व के कल्याण हेतु मंदिर में विशेष पूजा अनुष्ठान कराया जा रहा है। नवरात्रों के तीसरा दिन मां चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप की पूजा-आराधना का महत्व होता है। मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा हैं। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी चंद्रघंटा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी हैं। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला हैं। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान हैं, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। 10 भुजाओं वाली देवी के हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र विभूषित हैं। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है। मां चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति का अनुभव करते हैं। माता चंद्रघंटा का स्वरूप भक्तों के लिए परम कल्याणकारी है। उनके आशीर्वाद से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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