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आचार्य बालकृष्ण का जन्मदिवस ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में मनाया


उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 4 अगस्त को पूरे देश के 600 जिलों में, 5000 से अधिक तहसीलों व 1 लाख से अधिक गाँवों में आचार्य बालकृष्ण का जन्मदिवस ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इस दिन पतंजलि के विविध संगठनों व इकाइयों के माध्यम से देश के लगभग प्रत्येक जिले में 5,000 से 10,000 औषधीय पौधों का निःशुल्क वितरण ‘जड़ी-बूटी सप्ताह’ मनाया जाता है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 30 जुलाई। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 4 अगस्त को पूरे देश के 600 जिलों में, 5000 से अधिक तहसीलों व 1 लाख से अधिक गाँवों में आचार्य बालकृष्ण का जन्मदिवस ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इस दिन पतंजलि के विविध संगठनों व इकाइयों के माध्यम से देश के लगभग प्रत्येक जिले में 5,000 से 10,000 औषधीय पौधों का निःशुल्क वितरण ‘जड़ी-बूटी सप्ताह’ मनाया जाता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोरोना संक्रमण काल के चलते गिलोय के औषधीय प्रयोगों को केन्द्र में रखकर इस वर्ष पतंजलि परिवार ने सावन की वर्षा ऋतु में 1 लाख गिलोय के पौधे रोपित करने का लक्ष्य रखा है। देश के साथ-साथ प्रदेश में भी इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए पतंजलि योग समिति के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी राकेश ने प्रदेश के चार जिलों यथा- हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, देहरादून की इकाइयों की ऑनलाईन बैठक कर समस्त कार्यकर्ताओं को दिशानिर्देश दिए। बैठक में राज्य प्रभारीगण भास्कर औली , बहन सीमा , प्रवीण आर्य , सुरेश , प्रभात आर्य , देशबन्धु जी आदि ने अपने-अपने सुझाव रखे। चारों जिला इकाइयों के लगभग 1,000 कार्यकर्तागण इस अभियान को सफल बनाने के लिए पूर्ण उत्साह से जुटे हैं। कार्यकर्ता गाँव-गाँव, गली-गली जाकर गिलोय के औषधीय गुणों के विषय में लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ निःशुल्क गिलोय के पौधे वितरित कर रहे हैं। इसी क्रम में पतंजलि योग समिति के मुख्य महिला केन्द्रीय प्रभारी साध्वी आचार्या देवप्रिया, मुख्य केन्द्रीय प्रभारीगण डॉ. जयदीप आर्य व राकेश , राहुल , भाई प्रवीण जी आदि ने प्रेमनगर आश्रम चौक से सिंहद्वार तक सैकड़ों व्यक्तियों को गिलोय वितरित की। इस अवसर पर भाई राकेश जी ने कहा कि गिलोय (अमृता) अमृत के समान लाभकारी है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहाँ-जहाँ छलकीं, वहाँ-वहाँ गिलोय की उत्पत्ति हुई। यह महौषधि बहुत से रोगों में रामबाण है। यह प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीआक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। गिलोय एक ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। हम इस औषधि का प्रयोग करके स्वयं को तथा राष्ट्र को स्वस्थ बनायें, यही पतंजलि योगपीठ का जन-जागरण का अभियान है।

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