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दीपावली के दीये केवल मिट्टी के दीये नहीं, बल्कि कारीगरों के कौशल और मेहनत का प्रतीक - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि इस दीपावली पर, आइए हम सभी मिलकर दीये जलाएं और दीये बनाने वालों के चेहरों पर भी मुस्कान लाएं।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 28 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि इस दीपावली पर, आइए हम सभी मिलकर दीये जलाएं और दीये बनाने वालों के चेहरों पर भी मुस्कान लाएं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि धनतेरस से पांच दिनों के दीपावली पर्व की शुरूआत हो रही हैं। आप सभी से विशेष आग्रह है कि आप पारंपरिक मिट्टी के दीये जलाएं और उन कारीगरों के जीवन में खुशी और आशा की किरणें बिखेरें जो इन दीयों को अपने अथक परिश्रम से बनाते हैं और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सजीव रखने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दीपावली का पर्व प्रकाश और खुशियों का पर्व है। जब हम अपने घरों और परिसरों में मिट्टी के दीये जलाते हैं, तो हम केवल अपने परिवेश को ही नहीं, बल्कि उन कारीगरों के जीवन को भी रोशन करते हैं, जो इन दीयों को बनाने में अपना समय और ऊर्जा लगाते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने जोर देकर कहा कि दीपावली का यह दिव्य पर्व हमें अपनी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत व जागृत रखने का संदेश देता है और ये नन्हें-नन्हे मिट्टी के दीये न केवल पर्यावरण-अनुकूल होते हैं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का भी प्रतीक हैं। जब हम इन दीयों को जलाते हैं, तो हम अपने पूर्वजों की परंपराओं का सम्मान करते हैं और आने वाली पीढ़ियों के साथ इन मूल्यों के साझा करते हैं। दीये जलाना हमारे समाज में एकता और सांझा खुशी का प्रतीक है जो हमें हमारे कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है, और हमें अपने आसपास के लोगों की सहायता और समर्थन करने के लिए भी प्रेरित करता है।

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