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दीपावली सोच की शक्ति का पर्व है, दीपावली पर सोच, साधना, संयम, सेवा और समर्पण का दीया जले बस यही तो है दिवाली - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ गंगा आरती भारत के सरदार, असरदार और शिल्पकार जिन्होंने रियासतों का एकीकरण ही नहीं किया बल्कि भारतीयांे के दिलों को भी एक किया ऐसे अखण्ड भारत के निर्माता, एकता के प्रतीक लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल जी को समर्पित की|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 31 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी ने माँ गंगा के पावन तट पर श्री गणेश जी व लक्ष्मी जी का वेदमंत्रों व शंख ध्वनि के साथ पूजन-अर्चन कर भारत की समृद्धि की प्रार्थना की। इस अवसर पर भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं ने सहभाग कर इस पावन अवसर की दिव्यता का आनंद लिया। वेदमंत्रों की पवित्र ध्वनि और शंख की गुंजायमान ध्वनि ने समस्त वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। सभी ने मिलकर परमार्थ प्रांगण को दीपों से सुसज्जित कर रोशनी और खुशियों का उत्सव मनाया। विदेशियों ने भी परमार्थ प्रांगण में दीप प्रज्वलित कर खुशियाँ मनायी। आज का यह क्षण सामूहिक भक्ति, एकता, प्रेम और समृद्धि का दिव्य संदेश दे रहा है, लोकल दीपावली, ग्लोबल दीपावली के साक्षात दर्शन हो रहे हैं। आज केवल भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया दीपावली मना रही है। आज वही अयोध्या जिसकी कभी सूनी सड़कें, गंदी गलियां, राह निहारते घाट और हाट थे कि कोई तो आये आज वहीं जगमगा रही है और पूरे विश्व का स्वागत कर रही है तथा पूरा विश्व अयोध्या में प्रभु श्री राम का अभिनन्दन कर रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि दीपावली, रोशनी और खुशियों का पर्व है, आध्यात्मिक और आर्थिक समृद्धि का आधार है। यह पर्व न केवल हमारे घरों को प्रकाशित करता है, बल्कि हमारे हृदयों में भी उजाला भरता है। दीयों का यह उजाला वैश्विक शांति, सद्भाव, समरसता और समृद्धि के रूप में पूरे विश्व को प्रकाशित करे यही प्रभु से प्रार्थना है।

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