हे0न0 ब0 ग0वि0 में संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर वर्षभर कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया।


हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के तत्वाधान में संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर वर्षभर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। विज्ञान और मानव स्वास्थ्य पर आयोजित कार्यशाला|

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के तत्वाधान में संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर वर्षभर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। विज्ञान और मानव स्वास्थ्य पर आयोजित कार्यशाला के संयोजक प्रोफेसर एम एम सेमवाल ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर एस पी सिंह , पूर्व कुलपति हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर आर सी रमोला पूर्व निदेशक एस आर टी परिसर टिहरी एवं मुख्य वक्ता डॉ महेश भट्ट ,सर्जन, लेखक एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाहकार तथा उपस्थित सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया ।उन्होंने अपने संबोधन में संविधान दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी। प्रोफेसर सेमवाल ने बताया कि संविधान दिवस की वर्षगांठ पर वर्ष भर के कार्यक्रमों में वाद विवाद, महात्मा गांधी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व राष्ट्रीय आंदोलन पर दो दिवसीय पोस्टर प्रदर्शनी, कई कार्यशाला ,पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिताएं तथा न्यायाधीशों के व्याख्यान ,प्लांटेशन एवं कई कार्यक्रम साल भर आयोजित किए गए ।इसी कड़ी में आज मौलिक कर्तव्य के तहत वैज्ञानिक दृष्टिकोण के तहत "विज्ञान और मानव स्वास्थ्य" पर आयोजित इस कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि प्रोफेसर एस पी सिंह ने जीवन के तौर तरीके के रूप में वैज्ञानिक स्वभाव की आवश्यकता के बारे में विस्तृत रूप से अपने विचार रखे । उन्होंने कहा कि सवाल करना और तार्किक दृष्टिकोण अपनाना वैज्ञानिक स्वभाव का सार तत्व है। प्रोफेसर सिंह ने अपने संबोधन में छात्रों के बीच वैज्ञानिक स्वभाव व वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में विश्वविद्यालय के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित किया। प्रोफेसर आरसी रमोला ने वैज्ञानिक स्वभाव की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि वास्तविक जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और उसके अनुप्रयोग की आवश्यकता है । उन्होंने विज्ञान , स्यूडो विज्ञान, वैज्ञानिक तरीकों, प्राचीन एवं आधुनिक भारतीय विज्ञान, वैज्ञानिक स्वभाव के विकास और समाज की भूमिका के बारे में विस्तृत रूप से अपना प्रस्तुति दी ।उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 51 के बारे में भी चर्चा की ,जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संबंधित है ।प्रो रमोला ने प्राचीन परंपरा के आधार पर ज्योतिष शास्त्र पर चर्चा करते हुए कहा कि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। उन्होंने समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं अन्य प्रयोग करने के महत्व पर बल दिया। डॉ महेश भट्ट ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कोविड-19 पर अपने व्याख्यान में कहा कि हमारे आसपास हो रही चीजों को देखने, पूछताछ करने और तर्कसंगत निष्कर्ष निकालने के माध्यम से जीवन में वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने की आवश्यकता है। डॉक्टर भट्ट ने कहा कि वैज्ञानिक स्वभाव सभी प्रकार की असमानताओं को दूर करने में मदद करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान समय में केवल वैज्ञानिक सोच है ,जो कोविड-19 संकट को हल करने में मदद करेगा । कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला समन्वयक प्रोफेसर सीमा धवन ने किया । डॉ प्रशांत कंडारी ने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों को मुख्य वक्ताओं के सम्मुख रखा। जिनका वक्ताओं द्वारा संतोषजनक उत्तर दिया गया।अंत में डॉ ज्योति तिवारी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया ।कार्यशाला में 13 विश्वविद्यालयों के 191 प्रतिभागियों ने पंजीकरण किया। कार्य क्रम में आयोजन समिति के सदस्य प्रोफ़ेसर महावीर सिंह नेगी, प्रोफेसर राकेश कुंवर, डॉ प्रशांत कंडारी ,डॉ जे पी भट्ट ,आयोजक सचिव डॉ नितिन सती , अरुण शेखर बहुगुणा एवं डीन स्कूल ऑफ साइंस प्रोफ़ेसर आर सी डिमरी ,डीन स्कूल ऑफ एजुकेशन प्रोफेसर एस एस रावत उपस्थित थे|

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