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" 9 अगस्त भारत बचाओ दिवस "


9 अगस्त 1942 को मुंबई के आजाद मैदान से अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा गुंजायमान हुआ था। अगस्त देश की आजादी के जश्न का महीना है। जिसको भारत बचाओ महीने में परिवर्तित किया जा रहा है।

रिपोर्ट  - à¤°à¤¤à¤¨à¤®à¤£à¥€ डोभाल

9 अगस्त 1942 को मुंबई के आजाद मैदान से अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा गुंजायमान हुआ था। अगस्त देश की आजादी के जश्न का महीना है। जिसको भारत बचाओ महीने में परिवर्तित किया जा रहा है। इस गौरवशाली दिवस पर देश के समस्त मजदूर व किसान संगठनों की ओर से " भारत बचाओ दिवस " मनाने का आह्वान किया गया। मुंबई के एक आजाद मैदान में ही अंग्रेजों भारत छोड़ो का ऐलान किया गया था। मोदी सरकार से भारत बचाओ का ऐलान देश भर में लगभग 70 हजार मैदानों, छोटे - बड़े स्थानों से करोड़ों मजदूर और किसान सत्याग्रह के माध्यम से करने जा रहे हैं। भारत बचाओ दिवस लूटेरी पूंजीवादी व्यवस्था तथा उसके बर्बर चेहरे के खिलाफ भविष्य में होने वाले बड़े एकजुट जुझारू संघर्षों का पैगाम होगा। यह पैगाम होगा मोदी सरकार की उस नई आजादी के खिलाफ जो पूंजीपतियों को लूट करने की आजादी देती है। वैश्विक कोरोना महामारी के समय देश लॉक डाउन की स्थिति में है। जब बड़ा मोबिलाइजेशन कर प्रतिवाद नहीं किया जा सकता है। इसकी आड़ में देश के भीमकाय पब्लिक सेक्टर को बेचा जा रहा है। जो काम पार्लियामेंट का है उसको ऑर्डिनेंस के जरिए किया जा रहा है। समस्त केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, भारत के किसान संगठनों का "भारत बचाओ दिवस" पूंजीपतियों को शोषण की खुली छूट के लिए श्रम कानूनों को सरकारी आदेश से खत्म करने के खिलाफ, तीन अध्यादेश लाकर किसानों की मंडियों को समाप्त करने खिलाफ, फार्मिंग खेती के नाम पर किसानों की जमीनों को कारपोरेट के हवाले करने के खिलाफ तथा खाद्य सुरक्षा अधिकार को भी खत्म कर जमाखोरी, मुनाफाखोरी को बढ़ाने तथा अन्न के मामले में आत्मनिर्भर भारत को भूखमरी की ओर धकेलने के खिलाफ, बैंकों का निजीकरण कर उनमें जमा आम जनता की जीवन सुरक्षा की बचतों को बेहिसाब चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले पूंजीपतियों के हवाले करने के खिलाफ, रेल जो एक गाड़ी ही नहीं है जो देश को एक कोने से दूसरे कोने से जोड़ती है के निजीकरण के खिलाफ, बिजली के निजीकरण के खिलाफ, शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ, स्वास्थ्य सुविधाओं के निजीकरण के खिलाफ, लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की भांति शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू कर साल में 200 दिन का रोजगार देने की मांग आदि आम जनता जीवन से जुड़े मुद्दों को लेकर एकजुट होकर शारीरिक दूरी को बनाए रखते हुए हुंकार भरेंगे। राष्ट्रवाद का चोला ओढ़ने वाली संघ की राजनीतिक शाखा की भाजपा सरकार देश रक्षा उत्पादक संस्थानों ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों को भी बेचने जा रही है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इसको भी अपने एजेंडे में लिया है और डिफेंस की सभी यूनियनें एकजुट होकर 12 अक्टूबर से निजीकरण के खिलाफ बेमियादी हड़ताल पर जाने की तैयारी में जुट गए हैं। सरकार अपनी तानाशाही ताकत के बल पर अध्यादेश के जरिए जनता के हित के कानूनों को खत्म कर रही है तो देश का मजदूर और किसान भी उसके कानूनों के खिलाफ गोलबंद हो रही है। मोदी सरकार द्वारा कोयला खदानों की नीलामी के खिलाफ तीन लाख कोयला मंजदूरों ने तीन दिन की मुकम्मल हड़ताल कर मोदी सरकार को दिन में ही तारें दिखाने का काम किया है। अब 18 अगस्त से वह फिर से हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। आप सोच रहे होंगे कि इतना सबकुछ हो रहा है लेकिन प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तो कोई न्यूज नहीं है।आपका सोचना सही है क्योंकि पहले मीडिया कारपोरेट के लिए काम करता था इसलिए मजदूरों, किसानों, छात्रों की पिटने की न्यूज़ दिख जाती थी, आंदोलन की जीत की न्यूज़ तब भी नहीं थी। चूंकि अब खुद ही कारपोरेट हो गया है इसलिए न्यूज छिपाने और ब्युज दिखाने का काम करता है।

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