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वैदिक सनातन धर्म के संरक्षक थे श्रीचंद्र भगवान-महंत भगतराम


भगवान श्रीचन्द्र भगवान के 525वें जन्मोत्सव पर श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन एवं श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संयुक्त तत्वावधान में श्री चंद्राचार्य चैक से मनमोहक झांकियों व बैण्डबाजों से सुसज्तित विशाल भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया।

रिपोर्ट  - 

उदासीन सम्प्रदाय के आचार्य भगवान श्रीचन्द्र भगवान के 525वें जन्मोत्सव पर श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन एवं श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संयुक्त तत्वावधान में श्री चंद्राचार्य चैक से मनमोहक झांकियों व बैण्डबाजों से सुसज्तित विशाल भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों सहित आईजी संजय गुंज्याल, मेला अधिकारी दीपक रावत, मेला एसएसपी जनमेजय खण्डूरी, डीएम दीपेंद्र चैधरी, एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस, अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल सहित शहर के गणमान्य व राजनीति से जुड़े लोग भी सम्मिलित हुए। चंद्राचार्य चैक से शुरू हुई शोभायात्रा का नगर भ्रमण के दौरान श्रद्धालुजनों द्वारा जगह-जगह स्वागत व प्रसाद वितरण किया गया। नगर भ्रमण के पश्चात शोभायात्रा कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में जाकर संपन्न हुई। शोभायात्रा के शुभारंभ से पूर्व संतजनों ने चंद्राचार्य चैक स्थित भगवान श्रीचंद्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया। इस अवसर पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि श्रीचंद्र भगवान जन-जन के आराध्य हैं। उनकी पूजा अर्चना करने से परिवारों के कष्ट स्वतः ही दूर हो जाते हैं। परिवारों में सुख समृद्धि का वास होता है। संत समाज लगातार श्रीचंद्र भगवान के उपदेशों को जन जन तक पहंुचाने में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। उपस्थित संत समुदाय व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि श्रीचन्द्र भगवान वैदिक सनातन धर्म के सबसे बड़े संरक्षक थे। जिन्होने जाति पाति, ऊंच नीच के भेदभाव को समाप्त कर मानव मात्र को मुक्ति का मार्ग दिखाया। हम सभी को उनके आदर्शपूर्ण जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। सचिव महंत जगतार मुनि महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के पुनुरूद्धार के लिए भगवान श्रीचन्द्र अवतरित हुए। जब विभिन्न धर्म, सम्प्रदायों तथा उपासना प्रणालियों के लोग सत्य से कोसों दूर चले गए थे और भेदभाव तथा विषमताओं से परिपूर्ण थे। जब देश की आध्यात्मिक एवं भौतिक जगत की डूबती नैया को श्रीचन्द्र भगवान ने पार लगाया। अद्वितीय प्रतिभा से परिपूर्ण उनके जीवन के स्मरण मात्र से ही व्यक्ति का जीवन सफल हो जाता है। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघुमुनि महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचन्द्र ने ज्ञान भक्ति के समुच्चय सिद्धांत को प्रतिपादित किया। उन्होंने करामाती फकीरों, सूफी संतों एवं विधर्मियों को अपनी आलौकिक सिद्धियों और उपदेशो से प्रभावित कर वैदिक धर्म की दीक्षा दी। पाखंडों का खंडन कर श्रुति-स्मृति सम्मत आचार विचार की प्रतिष्ठा की। उन्होंने भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए शैव, वैष्णव, शाक्त, सौर तथा गणपत्य मतावलंबियों को संगठित कर पंचदेवोपासना की प्रतिष्ठा की। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि श्रीचंद्र भगवान ने वैचारिक वाद-विवाद को मिटाकर सत्य सनातन धर्म को समन्वय का विराट सूत्र प्रदान किया और धूणे के रूप में वैदिक यज्ञोपासना को नूतन रूप देकर निर्वाण साधु संतों के रहने का आदर्श प्रतिपादित कर निवृत्ति प्रधान धर्म की प्रतिष्ठा की। स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी व महंत रविन्द्रदास महाराज ने कहा कि श्रीचंद्र भगवान एक दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने संपूर्ण विश्व का भ्रमण कर सनातन धर्म की पताका को फहराया ओर समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर मार्गदर्शन किया। उनके आदर्श जीवन से प्रेरणा लेकर संत समाज राष्ट्र कल्याण में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता चला आ रहा है। शोभायात्रा में मुख्य रूप से म.म.स्वामी राजेंद्रानंद, महंत देवेंद्र सिंह, महंत दर्शन सिंह, महंत जसविन्दर सिंह, महंत प्रेमदास, म.म.स्वामी हरिचेतनानन्द, महंत विष्णुदास, महंत देवानंद सरस्वती, श्रीमहंत विनोद गिरी, महंत धूनीदास, मुखिया महंत सुरजीत मुनि, महंत त्रिवेणीदास, मुकामी महंत सूरजमुनि, महंत महेश मुनि, महंत छोटूराम, महंत वेदमुनि, महंत बसंत मुनि, महंत सिमरनदास, महंत रविन्द्रदास, महंत जयेंद्रमुनि, महंत दामोदर दास, संत जगजीत सिंह, महंत निर्मलदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत दिनेश दास, सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषि रामकिशन, स्वामी रामेश्वरानंद, महंत श्यामप्रकाश, स्वामी भगवत स्वरूप, महंत कमलदास, बाबा हठयोगी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, शिवम महंत, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत रूपेद्र प्रकाश, म.म.स्वामी कपिल मुनि, महंत जमनादास, स्वामी ललितानंद गिरी सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष शामिल रहे।

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