à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤—वान के 525वें जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ पर शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा नया उदासीन à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संयà¥à¤•à¥à¤¤ ततà¥à¤µà¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ में शà¥à¤°à¥€ चंदà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ चैक से मनमोहक à¤à¤¾à¤‚कियों व बैणà¥à¤¡à¤¬à¤¾à¤œà¥‹à¤‚ से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤¤à¤¿à¤¤ विशाल à¤à¤µà¥à¤¯ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ का आयोजन किया गया।
रिपोर्ट -
उदासीन समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के आचारà¥à¤¯ à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤—वान के 525वें जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ पर शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा नया उदासीन à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संयà¥à¤•à¥à¤¤ ततà¥à¤µà¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ में शà¥à¤°à¥€ चंदà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ चैक से मनमोहक à¤à¤¾à¤‚कियों व बैणà¥à¤¡à¤¬à¤¾à¤œà¥‹à¤‚ से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤¤à¤¿à¤¤ विशाल à¤à¤µà¥à¤¯ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ का आयोजन किया गया। शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ में सà¤à¥€ तेरह अखाड़ों के संत महापà¥à¤°à¥‚षों सहित आईजी संजय गà¥à¤‚जà¥à¤¯à¤¾à¤², मेला अधिकारी दीपक रावत, मेला à¤à¤¸à¤à¤¸à¤ªà¥€ जनमेजय खणà¥à¤¡à¥‚री, डीà¤à¤® दीपेंदà¥à¤° चैधरी, à¤à¤¸à¤à¤¸à¤ªà¥€ सेंथिल अबà¥à¤¦à¤ˆ कृषà¥à¤£à¤°à¤¾à¤œ à¤à¤¸, अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह, सिटी मजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ जगदीश लाल सहित शहर के गणमानà¥à¤¯ व राजनीति से जà¥à¥œà¥‡ लोग à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ चंदà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ चैक से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ का नगर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के दौरान शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जगह-जगह सà¥à¤µà¤¾à¤—त व पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ वितरण किया गया। नगर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ कनखल सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में जाकर संपनà¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¥¤ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ के शà¥à¤à¤¾à¤°à¤‚ठसे पूरà¥à¤µ संतजनों ने चंदà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ चैक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤šà¤‚दà¥à¤° की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ पर मालà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤ªà¤£ कर विधि विधान से पूजन अरà¥à¤šà¤¨ किया। इस अवसर पर नगर विकास मंतà¥à¤°à¥€ मदन कौशिक ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤šà¤‚दà¥à¤° à¤à¤—वान जन-जन के आराधà¥à¤¯ हैं। उनकी पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करने से परिवारों के कषà¥à¤Ÿ सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही दूर हो जाते हैं। परिवारों में सà¥à¤– समृदà¥à¤§à¤¿ का वास होता है। संत समाज लगातार शà¥à¤°à¥€à¤šà¤‚दà¥à¤° à¤à¤—वान के उपदेशों को जन जन तक पहंà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ में निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾ रहा है। उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ संत समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ व शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं को संबोधित करते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मà¥à¤–िया महंत à¤à¤—तराम महाराज ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤—वान वैदिक सनातन धरà¥à¤® के सबसे बड़े संरकà¥à¤·à¤• थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ जाति पाति, ऊंच नीच के à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ को समापà¥à¤¤ कर मानव मातà¥à¤° को मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का मारà¥à¤— दिखाया। हम सà¤à¥€ को उनके आदरà¥à¤¶à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिà¤à¥¤ सचिव महंत जगतार मà¥à¤¨à¤¿ महाराज ने कहा कि सनातन धरà¥à¤® के पà¥à¤¨à¥à¤°à¥‚दà¥à¤§à¤¾à¤° के लिठà¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° अवतरित हà¥à¤à¥¤ जब विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धरà¥à¤®, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ तथा उपासना पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लोग सतà¥à¤¯ से कोसों दूर चले गठथे और à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ तथा विषमताओं से परिपूरà¥à¤£ थे। जब देश की आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जगत की डूबती नैया को शà¥à¤°à¥€à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤—वान ने पार लगाया। अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ से परिपूरà¥à¤£ उनके जीवन के सà¥à¤®à¤°à¤£ मातà¥à¤° से ही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का जीवन सफल हो जाता है। शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त रघà¥à¤®à¥à¤¨à¤¿ महाराज ने कहा कि à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° ने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के समà¥à¤šà¥à¤šà¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने करामाती फकीरों, सूफी संतों à¤à¤µà¤‚ विधरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपनी आलौकिक सिदà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और उपदेशो से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कर वैदिक धरà¥à¤® की दीकà¥à¤·à¤¾ दी। पाखंडों का खंडन कर शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿-सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¤ आचार विचार की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठशैव, वैषà¥à¤£à¤µ, शाकà¥à¤¤, सौर तथा गणपतà¥à¤¯ मतावलंबियों को संगठित कर पंचदेवोपासना की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा की। शà¥à¤°à¥€ पंचायती अखाड़ा निरà¥à¤®à¤² के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¦à¥‡à¤µ सिंह महाराज ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤šà¤‚दà¥à¤° à¤à¤—वान ने वैचारिक वाद-विवाद को मिटाकर सतà¥à¤¯ सनातन धरà¥à¤® को समनà¥à¤µà¤¯ का विराट सूतà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया और धूणे के रूप में वैदिक यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ को नूतन रूप देकर निरà¥à¤µà¤¾à¤£ साधॠसंतों के रहने का आदरà¥à¤¶ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ कर निवृतà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ धरà¥à¤® की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ व महंत रविनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¸ महाराज ने कहा कि शà¥à¤°à¥€à¤šà¤‚दà¥à¤° à¤à¤—वान à¤à¤• दिवà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥‚ष थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संपूरà¥à¤£ विशà¥à¤µ का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर सनातन धरà¥à¤® की पताका को फहराया ओर समाज को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देकर मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ किया। उनके आदरà¥à¤¶ जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर संत समाज राषà¥à¤Ÿà¥à¤° कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ में अपना महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता चला आ रहा है। शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ में मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से म.म.सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ राजेंदà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤‚द, महंत देवेंदà¥à¤° सिंह, महंत दरà¥à¤¶à¤¨ सिंह, महंत जसविनà¥à¤¦à¤° सिंह, महंत पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¦à¤¾à¤¸, म.म.सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिचेतनाननà¥à¤¦, महंत विषà¥à¤£à¥à¤¦à¤¾à¤¸, महंत देवानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त विनोद गिरी, महंत धूनीदास, मà¥à¤–िया महंत सà¥à¤°à¤œà¥€à¤¤ मà¥à¤¨à¤¿, महंत तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€à¤¦à¤¾à¤¸, मà¥à¤•à¤¾à¤®à¥€ महंत सूरजमà¥à¤¨à¤¿, महंत महेश मà¥à¤¨à¤¿, महंत छोटूराम, महंत वेदमà¥à¤¨à¤¿, महंत बसंत मà¥à¤¨à¤¿, महंत सिमरनदास, महंत रविनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¸, महंत जयेंदà¥à¤°à¤®à¥à¤¨à¤¿, महंत दामोदर दास, संत जगजीत सिंह, महंत निरà¥à¤®à¤²à¤¦à¤¾à¤¸, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिहरानंद, महंत दिनेश दास, सतपाल बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ऋषि रामकिशन, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामेशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤‚द, महंत शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ à¤à¤—वत सà¥à¤µà¤°à¥‚प, महंत कमलदास, बाबा हठयोगी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ऋषिशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤‚द, शिवम महंत, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत रूपेदà¥à¤° पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, म.म.सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कपिल मà¥à¤¨à¤¿, महंत जमनादास, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ललितानंद गिरी सहित बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत महापà¥à¤°à¥‚ष शामिल रहे।